सुप्रीम कोर्ट परिसर के 26 पेड़ों का होगा ट्रांसप्लांट, दिल्ली HC ने 260 नए पौधे लगाने के शर्त रखी

सुप्रीम कोर्ट भवन के विस्तार के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने परिसर में खड़े 26 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दे दी है. इस परियोजना के तहत नए कोर्टरूम, कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट, जजों के चैम्बर्स और वकीलों के लिए आधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी.

26 trees of Supreme Court premises will be transplanted Delhi HC laid down the condition of planting 260 new saplings
सुप्रीम कोर्ट/Photo- ANI

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट भवन के विस्तार के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने परिसर में खड़े 26 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दे दी है. इस परियोजना के तहत नए कोर्टरूम, कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट, जजों के चैम्बर्स और वकीलों के लिए आधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी.

यह अनुमति सुप्रीम कोर्ट प्रोजेक्ट डिवीजन-1 और सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) द्वारा दायर याचिका पर दी गई, जिसमें इन पेड़ों को स्थानांतरित करने की मंजूरी मांगी गई थी. जस्टिस जस्मीत सिंह की पीठ ने इस याचिका को स्वीकार किया, लेकिन शर्त रखी कि बदले में 260 नए पौधे लगाए जाएंगे.

ट्रांसप्लांट की योजना और स्थान:

परियोजना के तहत, 16 पेड़ों को सुप्रीम कोर्ट के गेट A और B के बीच स्थित उद्यान क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि शेष 10 पेड़ों को गेट नंबर 1 के पास प्रशासनिक भवन के समीप शिफ्ट किया जाएगा.

पर्यावरण संतुलन के लिए कड़े नियम:

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रांसप्लांट की अनुमति देने से पहले यह सुनिश्चित करने को कहा कि 26 पेड़ों के स्थान पर 260 नए पेड़ लगाए जाएं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील सुधीर मिश्रा ने अदालत को अवगत कराया कि ये सभी 260 नए पौधे सुंदर नर्सरी में पहले ही लगाए जा चुके हैं.

इसके अलावा, हाईकोर्ट ने ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया के लिए ट्री ऑफिसर को दो सप्ताह के भीतर एक नया स्पीकिंग ऑर्डर जारी करने का निर्देश दिया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि दिल्ली प्रिजर्वेशन ऑफ ट्रीज एक्ट (DPTA) और पूर्व के न्यायिक आदेशों के आधार पर ही अनुमति दी जानी चाहिए.

तेलंगाना में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

हाल ही में, तेलंगाना में 400 एकड़ भूमि पर पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया था, जिसे लेकर छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने व्यापक विरोध किया. इस घटना पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास की भूमि पर किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगा दी. न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस पेड़ कटाई को गंभीर मुद्दा बताते हुए तेलंगाना सरकार से जवाब मांगा है.

अदालत ने यह भी पूछा है कि क्या राज्य सरकार ने इस तरह की गतिविधियों के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन प्रमाणपत्र (EIA) प्राप्त किया था या नहीं.

ये भी पढ़ें- 'पुलिस के हाथ कांप रहे थे...' जेल से दहाड़ी बलूचिस्तान की शेरनी महरंग बलोच, घबराई पाकिस्तान सरकार