देश की सीमाओं पर बसे दूर-दराज गांवों में भी अब विकास की रौशनी पहुंच रही है. कश्मीर के कर्नाह घाटी में तितवाल के पास स्थित सिमरी गांव को पहली बार बिजली की सुविधा मिली है. यह काम भारतीय सेना और असीम फाउंडेशन ने मिलकर किया है.
सिमरी गांव की खास बात सिर्फ इसकी सुंदरता या दुर्गम रास्ते नहीं हैं, बल्कि यह गांव सीधे लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर बसा है. गांव का आधा हिस्सा पाकिस्तान की ओर है. सिमरी को एक और खास दर्जा हासिल है—यह देश का पहला मतदान केंद्र (Polling Booth Number One) है, जो भारत के लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है.
भारतीय सेना ने त्वरित उठाया कदम
अब तक इस गांव में बिजली की भारी कमी थी. गांववाले लकड़ी और केरोसीन पर निर्भर थे. खासकर सूरज उगने और डूबने के समय बिजली गुल हो जाती थी, जिससे बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते थे. गांववालों की अपील पर भारतीय सेना ने त्वरित कदम उठाया और एक सौर ऊर्जा परियोजना शुरू की, जिससे घरों को रोशनी ही नहीं मिली, बल्कि लोगों की ज़िंदगी भी बदल गई.
ऑपरेशन सद्भावना के तहत हुआ सोलर प्रोजेक्ट
अब हर घर में LPG से खाना पक रहा है
आपको बता दें कि इस परियोजना के तहत हर घर को एलपीजी गैस कनेक्शन भी दिया गया है. सभी को डबल बर्नर गैस चूल्हा, रेगुलेटर और सेफ्टी पाइप मिले. इससे लकड़ी जलाने की जरूरत खत्म हो गई, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों में सुधार आया.
शहीद कर्नल संतोष महाडिक की याद में समर्पित
यह पूरी पहल शहीद कर्नल संतोष महाडिक को समर्पित की गई है, जिन्होंने 2015 में कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत दी थी. उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था और वह स्थानीय लोगों के बेहद प्रिय थे. अब उनकी याद में, उनकी माता जी खुद सिमरी गांव आएंगी और सेना के तंगधार ब्रिगेड कमांडर और कुपवाड़ा के डिप्टी कमिश्नर के साथ मिलकर इस सौर ऊर्जा सिस्टम को औपचारिक रूप से शुरू करेंगी. यह कार्यक्रम सेवा, बलिदान और विकास का प्रतीक बनेगा, जो दर्शाता है कि भारत के हर कोने तक रोशनी और उन्नति पहुंचाना ही असली राष्ट्र निर्माण है.