इस्लामाबाद: पाकिस्तान की बलूच यकजेहती समिति (BYC) की केंद्रीय आयोजक और प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. महरंग बलूच ने जेल से बलूचिस्तान के लोगों के नाम एक भावनात्मक पत्र लिखा है. वह पिछले दो हफ्तों से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं.
सरकार ने उन्हें 'सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने' के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन असल में वह उन हजारों बलूच परिवारों की आवाज़ बनी हुई हैं, जिनके अपने पाकिस्तानी सेना द्वारा अगवा या मारे गए हैं. पाकिस्तान सरकार और सेना लगातार इन आवाज़ों को दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बलूचिस्तान में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों से यह संघर्ष और तेज हो रहा है.
हम हर ज़ुल्म का हिम्मत से सामना करेंगे
बलूच यकजेहती समिति द्वारा जारी पत्र क्वेटा के हुड्डा जेल के सेल नंबर 5, ब्लॉक 9 से लिखा गया है, जहां डॉ. बलूच को एकांत कारावास में रखा गया है. उन्होंने पत्र में बलूच लोगों को ईद की शुभकामनाएं देते हुए लिखा, "मेरे अटूट देशवासियों, हुड्डा जेल के ब्लॉक नंबर 9 से, आपकी बहन महरंग और बीबो आप सभी को बंधन में एक और ईद की शुभकामनाएं देती हैं."
अपने संदेश में उन्होंने बलूचिस्तान में चल रहे सरकारी दमन, राजनीतिक गिरफ्तारियों, जबरन लापता किए गए लोगों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा पर चिंता जताई.
जेल में दिया जा रहा है पुराना अखबार
उन्होंने बताया कि उनकी हिरासत का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि जेल अधिकारी उन्हें सिर्फ दो दिन पुराना अखबार उपलब्ध कराते हैं ताकि वह ताजा घटनाओं से अनजान रहें.
उन्होंने लिखा, "इसके बावजूद, हम जानते हैं कि पूरा बलूचिस्तान विरोध में उठ खड़ा हुआ है. यह हमें उम्मीद देता है कि सरकार की हिंसा के बावजूद, हमारा देश दृढ़ है और प्रतिरोध करना जारी रखता है."
पिता की हत्या वाले जेल में खुद कैद
डॉ. बलूच ने बताया कि उन्हें उसी जेल में रखा गया है, जहां उनके पिता ने तीन साल तक हिरासत में यातनाएं झेली थीं और 2011 में उनकी न्यायेतर हत्या कर दी गई थी.
उन्होंने लिखा, "मैं अपनी हिरासत के लिए हुड्डा जेल को चुनने के लिए सरकार की आभारी हूं. यह जगह मेरी पीड़ा का केंद्र थी. यह मेरी जीवन की इच्छा रही है कि मैं उस जगह जाऊं जहां मेरे पिता को रखा गया था और जहां उन्हें प्रताड़ित किया गया था."
पाकिस्तानी सेना की बर्बरता का पर्दाफाश
उन्होंने 21 मार्च की उन घटनाओं का भी जिक्र किया, जब पाकिस्तानी सेना ने क्वेटा में शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर गोलीबारी की थी. इस घटना में 13 वर्षीय नेमातुल्लाह और 20 वर्षीय हबीब बलूच की मौत हो गई थी. उन्होंने बताया कि न सिर्फ इन शवों का अनादर किया गया, बल्कि पीड़ितों के परिवारों के साथ सुरक्षा एजेंसियों ने दुर्व्यवहार भी किया.
क्वेटा पुलिस की बर्बरता का खुलासा
उन्होंने बताया कि 21 मार्च को जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहे थे, तब उन्होंने क्वेटा के सहायक आयुक्त को देखा, जिनके हाथ कांप रहे थे और वह चिल्ला रहे थे, "उन कमीनों को पकड़ो!"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सरकार ने BYC आंदोलन को दबाने के लिए अरबों खर्च किए, लेकिन यह दमन इसे खत्म करने की बजाय और मजबूत बना रहा है.
हम कमजोर नहीं होंगे, हमारा संघर्ष जारी रहेगा
डॉ. बलूच ने अपने पत्र के अंत में लिखा, "BYC आम लोगों का आंदोलन है. आप जितना इसे दबाने की कोशिश करोगे, यह उतना ही मजबूत होगा. हम हर ज़ुल्म का हिम्मत, दृढ़ संकल्प और संगठित संघर्ष के साथ सामना करेंगे."
उन्होंने बलूच महिलाओं के बढ़ते प्रतिरोध को एक नया मोड़ बताया और कहा कि पहले बलूच पुरुषों को ही कैद किया जाता था, लेकिन अब बलूच महिलाएं भी प्रतिरोध की दीवार बन गई हैं.
उन्होंने कहा, "इस ईद पर, मैं गायब हुए लोगों के परिवारों के साथ प्रेस क्लब के बाहर खड़ी नहीं हो सकती, लेकिन इस जेल की सेल नंबर 5 से, मैं उनके मौन विरोध में शामिल हूं."
पाकिस्तान सरकार की बढ़ती चिंता
डॉ. महरंग बलूच की गिरफ्तारी के बाद बलूचिस्तान में प्रदर्शनों की तीव्रता बढ़ी है. पाकिस्तान सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बलूच आंदोलन का दमन नहीं हो पा रहा. महरंग बलूच का यह पत्र न केवल उनके साहस को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि बलूचिस्तान का संघर्ष अब अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने लगा है.
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