यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को चार साल होने वाले हैं. इन वर्षों में न सिर्फ शहर उजड़े, ज़िंदगियां तबाह हुईं, बल्कि पूरी दुनिया पर इसके असर की लकीरें खिंच गईं. थकान अब दोनों देशों की जनता में भी दिखने लगी है, लेकिन युद्ध रुकने के कोई स्पष्ट संकेत नहीं हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की बार-बार शांति की अपील कर रहे हैं. उन्होंने एक बार फिर बातचीत की पेशकश की है, लेकिन दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के रुख़ में अब भी कोई नरमी नहीं दिख रही है. बीते कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच कुछ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन वे केवल कैदियों की अदला-बदली जैसे सीमित मुद्दों पर ही सहमति तक पहुँच पाईं — युद्धविराम या युद्ध के अंत पर कोई ठोस रास्ता अब तक नहीं निकला.
"किसी चमत्कार की उम्मीद मत कीजिए"
रूस की ओर से ताज़ा बयान ने उम्मीदों पर फिर से पानी फेर दिया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि मौजूदा हालात में किसी चमत्कारी समाधान की उम्मीद करना व्यावहारिक नहीं होगा. उन्होंने यह भी दोहराया कि रूस अपने राष्ट्रहितों और रणनीतिक लक्ष्यों को लेकर अब भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
पेसकोव ने इस बात को साफ़ किया कि शांति वार्ता की कोई तय समय सीमा नहीं है. यह लंबी प्रक्रिया हो सकती है और इसमें मुश्किलें भी हैं. हालांकि उन्होंने संकेत दिए कि वार्ता इसी सप्ताह हो सकती है, लेकिन दिन और तारीख को लेकर अभी भी भ्रम है. ज़ेलेंस्की ने बुधवार को बातचीत की संभावना जताई है, जबकि रूसी समाचार एजेंसी TASS ने अज्ञात सूत्र के हवाले से गुरुवार बताया है.
शांति से पहले हमला
वार्ता से ठीक पहले युद्ध का ताज़ा दौर भी देखने को मिला. सोमवार रात, जब ज़ेलेंस्की शांति की अपील कर रहे थे, रूस ने सूमी, ओडेसा और क्रामातोर्स्क पर हवाई हमले कर दिए. इन हमलों में एक बच्चे की जान चली गई, और कम से कम 24 लोग घायल हुए.
हमलों में ड्रोन और ग्लाइड बम का इस्तेमाल किया गया. वहीं रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उन्होंने यूक्रेन के 35 ड्रोन मार गिराए हैं. ऐसे में सवाल उठता है — जब युद्ध अभी भी ज़मीन पर ज़िंदा है, तो क्या काग़ज़ों पर शांति की बात सिर्फ एक औपचारिकता भर रह गई है?
इस्तांबुल में पिछली कोशिशें
गौरतलब है कि इससे पहले 16 मई और 2 जून को दोनों देशों के बीच इस्तांबुल में बातचीत हुई थी. वहां भी हालात बेहतर बनाने की बातें हुई थीं, लेकिन जमीनी बदलाव नहीं दिखा. कैदियों की अदला-बदली के अलावा कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं हो सकी. ज़ेलेंस्की बार-बार शांति की राह दिखा रहे हैं, लेकिन रूस की तरफ से हर बार या तो हमला होता है या फिर अस्पष्ट जवाब.
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