रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को दो साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अब तक किसी स्थायी संघर्षविराम की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही. दोनों देशों के बीच लगातार हमले और जवाबी कार्रवाइयां हो रही हैं, जिनकी कीमत आम नागरिक अपनी जान देकर चुका रहे हैं. इसी बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वह महत्वाकांक्षी शांति योजना भी अब टकराव में उलझती दिख रही है, जिसे उन्होंने दोबारा राष्ट्रपति बनने पर लागू करने का वादा किया था.
ट्रंप की योजना का केंद्र: क्रीमिया
डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना की अस्थायी रूपरेखा के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच स्थायी युद्धविराम के लिए जरूरी है कि यूक्रेन, क्रीमिया को आधिकारिक रूप से रूस का हिस्सा मान ले. बदले में रूस को यूक्रेन के अन्य हिस्सों से पीछे हटने और शांति स्थापित करने के लिए तैयार होना होगा. हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की इस प्रस्ताव को मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं.
ज़ेलेंस्की की स्पष्ट नीति है—क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं होगा, चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों. यूक्रेन की विपक्षी सांसद इरीना गेराशेंको ने भी साफ कर दिया है कि देश की संप्रभुता और सीमाएं उनके लिए 'लाल रेखा' हैं, जिसे पार नहीं किया जा सकता.
2014 से अब तक: क्रीमिया का इतिहास
रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इससे किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन जल्द ही सच्चाई सामने आ गई. ‘हरी वर्दी’ में बिना पहचान वाले सैनिकों ने क्रीमिया की संसद पर नियंत्रण कर लिया और पूरे क्षेत्र में फैल गए. इस घटना को यूक्रेन पर रूस के आक्रामक रवैये की शुरुआत माना जाता है, जो 2022 में एक पूर्ण युद्ध में तब्दील हो गया.
बाद में पुतिन ने खुद स्वीकार किया कि क्रीमिया पर कब्जा एक सोची-समझी रणनीति थी, जो यूक्रेन की राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाकर अंजाम दी गई.
ट्रंप की टिप्पणी और यूक्रेन का जवाब
हाल ही में ट्रंप ने सवाल उठाया कि अगर ज़ेलेंस्की को क्रीमिया चाहिए था, तो उन्होंने 11 साल पहले इसके लिए क्यों नहीं लड़ा, जब यह बिना अधिक प्रतिरोध के रूस के हाथ में चला गया? लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि उस समय यूक्रेन राजनीतिक संकट और सत्ता परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था, जिसकी वजह से वह त्वरित और प्रभावी सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दे सका.
अमेरिका की 'क्रीमिया नीति' बनी हुई है स्थिर
यूक्रेन ने इस मुद्दे पर अमेरिका की पूर्व नीति का हवाला देते हुए ट्रंप के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया. 2018 में अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने ‘क्रीमिया डिक्लेरेशन’ जारी करते हुए कहा था कि अमेरिका कभी भी रूस के इस कदम को वैध नहीं मानेगा और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा.
समाधान की राह में सबसे बड़ी रुकावट
विश्लेषकों का मानना है कि क्रीमिया को लेकर यूक्रेन और रूस के रुख में जो कट्टरता है, वह किसी भी संभावित शांति समझौते की राह की सबसे बड़ी बाधा बन गई है. रूस के लिए क्रीमिया अब केवल रणनीतिक नहीं बल्कि राजनीतिक गर्व का विषय बन चुका है, जबकि यूक्रेन के लिए यह राष्ट्रीय अस्तित्व और अस्मिता का सवाल है.
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