आसमान में ही फाइटर जेट तबाह करेगा भारत, 40N6 इंटरसेप्टर मिसाइल से बढ़ेगी S-400 की ताकत, जानें खासियत

    भारत अब रूस से 40N6 अल्ट्रा-लॉन्ग-रेंज इंटरसेप्टर मिसाइलों की एक अतिरिक्त खेप हासिल करने की योजना बना रहा है.

    The 40N6 interceptor missile will enhance the S-400 capabilities
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    भारत अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत और अजेय बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है. मिल रही जानकारी के अनुसार, भारत अब रूस से 40N6 अल्ट्रा-लॉन्ग-रेंज इंटरसेप्टर मिसाइलों की एक अतिरिक्त खेप हासिल करने की योजना बना रहा है. यह मिसाइलें पहले से तैनात S-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस सिस्टम का हिस्सा होंगी, जिससे इस सिस्टम की क्षमता और भी ज्यादा घातक और प्रभावी बन जाएगी.

    S-400 की ताकत को मिलेगा नया आयाम

    S-400 पहले से ही दुनिया के सबसे उन्नत और प्रभावशाली एयर डिफेंस सिस्टम्स में गिना जाता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली, जो एक साथ कई हवाई लक्ष्यों को पहचानकर उन्हें निशाना बना सकती है, चाहे वो लड़ाकू विमान हो, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें या फिर बैलिस्टिक मिसाइलें.

    अब अगर इसमें 40N6 जैसी अल्ट्रा-लॉन्ग-रेंज इंटरसेप्टर मिसाइलें जोड़ी जाती हैं, तो यह सिस्टम किसी भी हवाई खतरे को 400 किलोमीटर दूर से ही नष्ट करने में सक्षम हो जाएगा. इसके साथ ही, यह दुश्मन के हवाई निगरानी विमानों, जासूसी प्लेटफॉर्म्स और बमवर्षक विमानों को बहुत पहले ही रोक देगा, जिससे वे भारत के एयरस्पेस के करीब भी नहीं फटक सकेंगे.

    40N6 मिसाइल की खूबियां

    रेंज: यह मिसाइल 400 किलोमीटर तक दूर और 30-35 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवाई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है.

    लक्ष्य: इसे खासतौर पर ऐसे लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो बहुत ऊंचाई पर और तेज़ गति से उड़ रहे हों, जैसे कि AEW&C विमानों, ISR प्लेटफॉर्म्स, रणनीतिक बमवर्षक, और कुछ बैलिस्टिक मिसाइलें.

    सटीकता और डिटेक्शन: 40N6 मिसाइल सक्रिय रडार होमिंग और लंबी दूरी के डिटेक्शन सिस्टम से लैस है, जो इसे बेहद खतरनाक और भरोसेमंद बनाता है.

    इस मिसाइल की तैनाती से भारत को एक ऐसी रणनीतिक गहराई (Strategic Depth) मिलती है, जो शत्रु की हवाई गतिविधियों को बहुत पहले से ही मॉनिटर करने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता देती है.

    सीमा पर 40N6 का प्रभाव

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, मई 2025 में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा के पास एक ISR (Intelligence, Surveillance & Reconnaissance) विमान को टारगेट किया था, जो भारतीय सीमा के बहुत करीब लगातार निगरानी कर रहा था. ऐसा माना जाता है कि इस मिशन में 40N6 इंटरसेप्टर मिसाइल का उपयोग किया गया था.

    हालांकि पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना 40N6 को एक "Deterrence Weapon" (निवारक हथियार) के रूप में स्थापित करती है. ऐसे हथियार शत्रु को यह संकेत देते हैं कि कोई भी घुसपैठ या हवाई गश्त भारी कीमत चुकाने वाली साबित हो सकती है.

    रूस के साथ बढ़ती रक्षा साझेदारी

    रूसी डिफेंस एजेंसी FSMTC (Federal Service for Military-Technical Cooperation) ने पुष्टि की है कि भारत और रूस के बीच S-400 सिस्टम से जुड़े सहयोग को बढ़ाने की बातचीत जारी है. इसमें नई 40N6 मिसाइलों की डिलीवरी भी शामिल हो सकती है. रूस इस बात के लिए तैयार नजर आ रहा है कि भारत को उसकी हवाई सुरक्षा की जरूरतों के मुताबिक और अधिक तकनीकी संसाधन मुहैया कराए.

    यह सहयोग ऐसे समय में सामने आया है जब एशिया में क्षेत्रीय तनाव बढ़ रहा है, विशेषकर चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवादों के कारण.

    भारत में रूसी S-400 की तैनाती

    भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.43 अरब डॉलर की डील पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत उसे पांच S-400 रेजिमेंट मिलनी थीं. अब तक भारत को चार रेजिमेंट मिल चुकी हैं और ये पूरी तरह से ऑपरेशनल हो चुकी हैं. पांचवीं रेजिमेंट की डिलीवरी 2026–2027 तक होने की संभावना है.

    इन रेजिमेंट्स को देश के पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर तैनात किया गया है ताकि पाकिस्तान और चीन, दोनों से आने वाले हवाई खतरों से निपटा जा सके.

    प्रत्येक रेजिमेंट में चार डिवीजन होते हैं और हर डिवीजन कई तरह की मिसाइलों से लैस होता है, जिनमें 40N6, 48N6, 9M96E2 जैसी मिसाइलें शामिल होती हैं.

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