रूस और भारत के बीच पारंपरिक मित्रता और रणनीतिक साझेदारी के रिश्ते सदियों पुरानी गहरी नींव पर खड़े हैं. इन संबंधों को और भी मजबूत बनाने की दिशा में हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को एक नया मील का पत्थर माना जा रहा है. यह वार्ता दोनों देशों के बीच बढ़ती कूटनीतिक और आर्थिक सक्रियता का प्रतीक है, जिसने वैश्विक राजनीति में दोनों देशों की बढ़ती भूमिका को फिर से रेखांकित किया.
पीएम मोदी की नीतियों की पुतिन ने की प्रशंसा
रूसी राष्ट्रपति ने अपने ही देश के मंत्रिमंडल के साथ हुई बैठक में इस वार्ता के बारे में खुलासा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि भारत ने स्वतंत्र और संप्रभु नीति अपनाकर न केवल राजनीतिक क्षेत्र में बल्कि आर्थिक विकास में भी अभूतपूर्व प्रगति की है. पुतिन ने जोर देकर कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में उसकी स्थिति को मजबूत कर रही है.
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल अपने देश की आंतरिक स्थिरता बनाए रखी है, बल्कि आर्थिक रूप से भी उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे वह वैश्विक स्तर पर एक अहम खिलाड़ी बनकर उभरा है."
मोदी-पुतिन वार्ता का राजनीतिक महत्व
यह टेलीफोन वार्ता पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर रूसी राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए बधाई संदेश के बाद हुई. इस दौरान पुतिन ने द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने में मोदी के व्यक्तिगत योगदान को भी रेखांकित किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को और व्यापक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
पुतिन ने कहा कि यह सहयोग केवल दोनों देशों के हित में ही नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए भी आवश्यक है. उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर दोनों देशों के बीच निरंतर संवाद और सहयोग जारी रहेगा.
भारत-रूस संबंध: दशकों पुराना भरोसा
रूस और भारत के संबंध न केवल राजनयिक स्तर पर मजबूत हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान, और तकनीक सहित कई क्षेत्रों में भी व्यापक सहयोग मौजूद है. भारत की परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं से लेकर रूस के हथियार प्रणालियों की खरीद तक, यह साझेदारी दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है.
विशेषकर, रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच वर्षों से स्थिर समझौते होते आए हैं, जिनमें एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद एक प्रमुख उदाहरण है. इन सहयोगों से दोनों देशों को रणनीतिक रूप से मजबूती मिली है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में महत्वपूर्ण वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई बातचीत के कुछ ही दिनों बाद, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. यह वार्ता द्विपक्षीय रिश्तों के साथ-साथ यूक्रेन संकट और मध्य पूर्व के वर्तमान विवादों पर भी केंद्रित रही.
जयशंकर ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में इस मुलाकात को “अच्छी और उपयोगी बातचीत” बताया, जिसमें दोनों पक्षों ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई. यह संकेत है कि भले ही विश्व राजनीति में कई मुद्दों पर मतभेद हों, भारत और रूस अपने साझा हितों को कायम रखने के लिए संवाद का मार्ग नहीं छोड़ रहे.
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