US President Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं. कभी G-7 सम्मेलन की वापसी, कभी ईरान-इजरायल युद्ध में मध्यस्थता की अटकलें, और अब उनकी एक खास आदत ने सबका ध्यान खींचा है. ये आदत है "दो सप्ताह" बोलने की. जब भी उनसे किसी बड़े फैसले पर सवाल पूछा जाता है, ट्रंप का जवाब लगभग तय होता है. "इस पर फैसला अगले दो सप्ताह में लिया जाएगा."
ईरान पर फैसला? "दो हफ्ते में देखेंगे"
ताज़ा मामला ईरान को लेकर सामने आया है. व्हाइट हाउस की एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग में प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने जानकारी दी कि ट्रंप अगले दो सप्ताह में यह तय करेंगे कि ईरान पर सैन्य कार्रवाई की जाएगी या नहीं. लेविट ने कहा, “राष्ट्रपति का मानना है कि निकट भविष्य में ईरान के साथ बातचीत की संभावनाएं हैं. इस पर फैसला आगामी दो हफ्तों में लिया जाएगा.”
पहले भी दो सप्ताह की मोहलत देते रहे हैं ट्रंप
यह कोई पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने “दो सप्ताह” की टाइमलाइन दी हो. इससे पहले भी उन्होंने कई मुद्दों पर इसी जादुई वाक्यांश का इस्तेमाल किया है. उदाहरण के लिए, जब पत्रकारों ने उनसे रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर भरोसे को लेकर सवाल किया, तो ट्रंप का जवाब था कि, “मैं दो सप्ताह में तय करूंगा.” वहीं, राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जब उनसे नई टैक्स नीति के बारे में पूछा गया, तब भी जवाब में वही पुराना राग अलापा गया “दो हफ्तों में घोषणा होगी.”
रणनीति, संयोग या शैली?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह "दो सप्ताह" वाला जवाब न केवल मीडिया के सवालों को टालने का तरीका हो सकता है, बल्कि यह उनके निर्णय लेने के अप्रत्याशित अंदाज़ को भी दर्शाता है. यह शब्द उनके लिए बफर ज़ोन बन चुका है. जिससे वे खुद को तत्काल जवाब देने की ज़रूरत से बचा लेते हैं, और फैसले को लटकाकर रखते हैं. ट्रंप के पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए, तो इन "दो सप्ताहों" में कई बार न तो कोई निर्णय आया, न ही कोई स्पष्ट दिशा. ऐसे में अब यह वाक्यांश राजनीतिक व्यंग्य और मीम का विषय बन चुका है.