US-Iran Conflict: अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला करने के बाद अब पूरा मध्य पूर्व बारूद के ढेर पर बैठा है. यह हमला सिर्फ ईरान तक सीमित नहीं रहेगा. इसके असर की आंच अमेरिका के उन 9 सैन्य ठिकानों तक पहुंच सकती है जो ईरान के एकदम करीब हैं. ईरान पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अगर उस पर हमला हुआ तो वह अमेरिका के मिडिल ईस्ट स्थित बेस को भी नहीं छोड़ेगा. अब जब हमला हो चुका है, तो खतरा असलियत में बदलता नजर आ रहा है.
मिडिल ईस्ट में 50 हजार अमेरिकी सैनिक
मध्य पूर्व में अमेरिका के करीब 50,000 सैनिक तैनात हैं, जो अमेरिका के विदेश में मौजूद कुल सैनिकों का लगभग एक-तिहाई हैं. ये सैनिक इराक, बहरीन, कुवैत, कतर, यूएई, सीरिया, जॉर्डन, सऊदी अरब और ओमान जैसे देशों में फैले हुए हैं. इन बेस की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि ईरानी मिसाइलें इन तक आसानी से पहुंच सकती हैं.
इराक सबसे बड़ा टारगेट
ईरान के सबसे करीब स्थित अमेरिकी अड्डा इराक में है, इसलिए यहां सुरक्षा को सबसे ऊंचे स्तर पर ले जाया गया है. अमेरिकी दूतावास पर इराकी सेना तैनात कर दी गई है, जबकि ज्यादातर अमेरिकी सैनिकों को पहले ही वहां से हटा लिया गया है. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इराक सरकार को अब ईरानी जवाबी हमले का डर सताने लगा है.
‘हमला सफल, अब शांति का समय’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान में कहा कि अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान परमाणु ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया है और सभी विमान सुरक्षित लौट चुके हैं. ट्रंप ने इसे अमेरिकी सेना की असाधारण क्षमताओं का प्रदर्शन बताया. उन्होंने साथ ही चेतावनी भी दी. अगर ईरान ने कोई जवाबी हमला किया, तो अमेरिका की अगली कार्रवाई और भी ज्यादा विनाशकारी होगी.
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