ईरान युद्ध में तालिबान बिल में क्यों छुप गया? पड़ोसी के साथ कर दी ये दगाबाजी, जानिए इनसाइड स्टोरी

    अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने हाल ही में ईरान पर इजरायल और अमेरिका के हमलों के दौरान एक अप्रत्याशित रुख अपनाया, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

    Why Taliban hide during Iran war betrayed neighbour
    ट्रंप-खामेनेई | Photo: ANI

    अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने हाल ही में ईरान पर इजरायल और अमेरिका के हमलों के दौरान एक अप्रत्याशित रुख अपनाया, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पड़ोसी और धार्मिक रूप से जुड़ी होने के बावजूद, काबुल ने तेहरान को संकट के समय कोई ठोस समर्थन नहीं दिया. बल्कि, जब ईरान ने मदद मांगी, तो तालिबान ने इसे सार्वजनिक कर दिया, जिससे यह अंदेशा पैदा हुआ कि अफगान प्रशासन अमेरिकी पक्ष को खुश करने की कोशिश में है.

    अफगानिस्तान को लगभग 2 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता

    ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव समाप्त होते ही अमेरिका ने तालिबान के लिए नया आर्थिक दबाव भी बनाया है. अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसके तहत अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान को दिए जा रहे फंड पर रोक लगा दी जाएगी. न्यूज़वीक की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2021 से जनवरी 2024 के बीच USAID ने तालिबान के अधीन अफगानिस्तान को लगभग 2 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता दी है. ये रकम इन्फ्रास्ट्रक्चर और मानवीय कार्यों के लिए थी, जिसमें अफगान बैंकों को भेजी गई नकदी भी शामिल है.

    अमेरिका के विदेश विभाग का कहना है कि तालिबान प्रशासित अफगानिस्तान के बैंकों को साप्ताहिक तौर पर करीब 40 मिलियन डॉलर की नकदी उपलब्ध कराई जाती रही है, लेकिन अब इस फंडिंग पर रोक लगाई जाएगी. यह कदम तालिबान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर तब जब देश महंगाई और बढ़ती शरणार्थी समस्याओं से जूझ रहा है. इसके अलावा, तालिबान को किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है, जिससे उसकी किल्लत और बढ़ गई है.

    ईरान और अफगानिस्तान के बीच लंबी सीमा

    ईरान और अफगानिस्तान के बीच लंबी सीमा है, और दोनों के बीच परंपरागत तौर पर दोस्ताना संबंध रहे हैं. हालांकि, तालिबान के सत्ता में आने के बाद भी ईरान ने सहायता जारी रखी, लेकिन जब ईरान को असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ा, तो तालिबान ने समर्थन में कोई ठोस कदम नहीं उठाया. अफगानिस्तान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी सैन्य अधिकारियों ने शरण मांगने की कोशिश की, लेकिन तालिबान ने उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया.

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