भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने देश की तीनों सेनाओं के लिए लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी दे दी है. इस खरीदारी में खास बात यह है कि सभी रक्षा उपकरण स्वदेशी स्रोतों से लिए जाएंगे, जिससे 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों को भी बल मिलेगा.
इस निर्णय के साथ भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय इजाफा होगा. खासतौर पर पाकिस्तान और चीन जैसी सीमावर्ती चुनौतियों के बीच यह फैसला सामरिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है.
किस प्रकार के हथियार मिलेंगे भारतीय सेनाओं को?
रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा इस बार जिन 10 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, वे सभी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं. इनमें युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त बख्तरबंद वाहनों को रेस्क्यू करने वाले बख्तरबंद रिकवरी वाहन, दुश्मन की निगरानी और संचार प्रणाली को निष्क्रिय करने वाले इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, और एयर डिफेंस को सशक्त करने वाले सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम (QRSAM) शामिल हैं.
इसके अलावा, नौसेना के लिए मूर्ड माइंस, माइन काउंटर मेजर वेसल्स, सुपर रैपिड गन माउंट और सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स जैसे सिस्टम भी खरीदे जाएंगे, जो समुद्री सुरक्षा को और अधिक पुख्ता बनाएंगे.
जानिए इन रक्षा प्रणालियों की खासियत
बख्तरबंद रिकवरी वाहन (ARV)
ये विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए वाहन युद्धभूमि में खराब या क्षतिग्रस्त टैंकों व बख्तरबंद गाड़ियों को वापस लाने के लिए बनाए जाते हैं. इनका मजबूत ढांचा और हाइड्रोलिक सिस्टम इन्हें युद्ध की स्थितियों में भी सुरक्षित और कुशल बनाता है.
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम (EWS)
इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य दुश्मन के संचार, राडार और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलों को बाधित करना है. यह प्रणाली न सिर्फ हमला करने में सक्षम है, बल्कि रक्षा और जासूसी कार्यों में भी सहायक साबित होती है.
मूर्ड माइंस और माइन काउंटर वेसल्स
मूर्ड माइंस समुद्र की गहराई में तैनात की जाती हैं और दुश्मन के जहाज जैसे ही संपर्क में आते हैं, विस्फोट करके उन्हें नष्ट कर देती हैं. वहीं, माइन काउंटर मेजर वेसल्स दुश्मन द्वारा छोड़ी गई माइन की पहचान और उन्हें निष्क्रिय करने में मदद करते हैं.
सुपर रैपिड गन माउंट (SRGM)
यह एक अत्याधुनिक नौसैनिक गन सिस्टम है जो अत्यधिक गति से फायरिंग करने में सक्षम है. यह गन विशेष रूप से हवाई हमलों और दुश्मन की मिसाइलों को रोकने में दक्ष है.
प्रचंड हेलीकॉप्टर और QRSAM को भी मिलेगी मजबूती
भारत ने पहले ही Hindustan Aeronautics Limited (HAL) से 62,700 करोड़ रुपये में 156 स्वदेशी प्रचंड लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की खरीद की स्वीकृति दे दी है. साथ ही, वायुसेना और थल सेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाने के लिए क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम (QRSAM) की भी खरीद की योजना बनाई गई है.
रक्षा बजट में बड़ी छलांग
भारत ने 2024-25 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.53% अधिक है. इसमें से 1.80 लाख करोड़ रुपये सिर्फ हथियारों की खरीद पर खर्च होंगे. सेनाओं की संचालन लागत के लिए 3.11 लाख करोड़ रुपये, रक्षा पेंशन के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये और बाकी रकम रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले असैन्य विभागों के लिए निर्धारित की गई है.
इजराइल भी बढ़ा रहा सैन्य खर्च
गाजा और ईरान के साथ चल रहे टकरावों से जूझ रहे इजराइल ने भी अपने रक्षा खर्च में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है. 2024 में इजराइल का सैन्य बजट 65% बढ़कर 46.5 बिलियन डॉलर हो गया है. इसमें अकेले दिसंबर 2023 में 5.7 बिलियन डॉलर खर्च किए गए, जो उसकी GDP का 8.8% हिस्सा है.
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