एशिया के पूर्वी हिस्से में तनाव चरम पर है. चीन और ताइवान के बीच लगातार बिगड़ते रिश्तों ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर दी है. ताइवान, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है, लगातार सैन्य और कूटनीतिक दबाव का सामना कर रहा है. ऐसे में ताइवान की सेना और तटरक्षक बल ने एक संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू कर दुनिया को यह संदेश दिया है कि वह किसी भी संभावित हमले से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
युद्धाभ्यास के पीछे की रणनीति
ताइवान की सेना और कोस्ट गार्ड ने हाल ही में दक्षिणी बंदरगाह शहर काऊशुंग में एक व्यापक सैन्य अभ्यास किया. इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य न सिर्फ चीन के संभावित आक्रमण को विफल करने की तैयारी करना था, बल्कि सेना और तटरक्षक बल के बीच सामंजस्य और एकीकृत प्रतिक्रिया क्षमता की भी जांच करना था.
अभ्यास के दौरान एक काल्पनिक परिदृश्य के तहत "अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों" द्वारा एक नौका पर कब्जा करने का सीन तैयार किया गया, जिसे तटरक्षक बल ने सेना और आंतरिक मंत्रालय के बचाव हेलीकॉप्टरों की मदद से छुड़ाया. इस दौरान घायल व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने का भी रिहर्सल किया गया.
चीन का 'ग्रे ज़ोन' दबाव
ताइवान लंबे समय से चीन की 'ग्रे ज़ोन रणनीति' से जूझ रहा है. ये वो गतिविधियां हैं जिनमें सीधे युद्ध न करते हुए तनाव पैदा किया जाता है—जैसे अंडरसी केबल काटना, अवैध रेत खनन या सैन्य अभ्यासों के जरिए डर का माहौल बनाना. ऐसे मामलों में सबसे पहले ताइवान का तटरक्षक बल ही प्रतिक्रिया देने के लिए आगे आता है, यही कारण है कि अब इस बल की क्षमता को मजबूत किया जा रहा है.
रक्षा के लिए पूरी ताकत
राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने अभ्यास के दौरान कहा कि "चीन की ओर से लगातार ग्रे ज़ोन घुसपैठ की जा रही है, लेकिन ताइवान का कोस्ट गार्ड हर बार कानून की रक्षा और जनता की सुरक्षा के लिए अग्रिम मोर्चे पर डटा रहता है." उन्होंने यह भी दोहराया कि ताइवान सरकार हर स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.
अमेरिका की मौजूदगी और कूटनीतिक संकेत
इस युद्धाभ्यास में अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिक नील गिब्सन की उपस्थिति भी खास रही. यह न केवल अमेरिका और ताइवान के बढ़ते संबंधों का संकेत है, बल्कि चीन के लिए भी एक स्पष्ट संदेश माना जा रहा है.
तटरक्षक बल का आधुनिकीकरण
ताइवान के कोस्ट गार्ड को अब युद्ध के हालात में भी सैन्य सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है. इसकी क्षमताओं में लगातार इजाफा किया जा रहा है. खासकर, एनपिंग-क्लास कोरवेट जैसे आधुनिक स्टील्थ पोतों को शामिल किया गया है, जो चीन के बड़े जहाजों को समुद्र के पास ही निशाना बनाने की रणनीति के तहत डिजाइन किए गए हैं. ये पोत ताइवानी नौसेना के तुओ चियांग-क्लास युद्धपोतों पर आधारित हैं और बेहद तेज, घातक और लो-डिटेक्शन तकनीक से लैस हैं.
ये भी पढ़ेंः तोप, गोले, बंकर... युद्ध की तैयारियों में क्यों जुट गया ये देश? बन गया पूरा प्लान, जानिए कब होगा हमला