तोप, गोले, बंकर... युद्ध की तैयारियों में क्यों जुट गया ये देश? बन गया पूरा प्लान, जानिए कब होगा हमला

    जर्मनी, जो लंबे समय तक सैन्य टकराव से दूरी बनाए रखने के लिए जाना जाता रहा है, अब संभावित खतरे की गंभीरता को समझते हुए तैयारी के मोड में आ चुका है.

    germany start preparing for war attack will happen
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    जिस यूरोप ने दशकों तक शांति और स्थिरता की मिसाल कायम की, वही अब युद्ध की आहट से बेचैन हो उठा है. जर्मनी, जो लंबे समय तक सैन्य टकराव से दूरी बनाए रखने के लिए जाना जाता रहा है, अब संभावित खतरे की गंभीरता को समझते हुए तैयारी के मोड में आ चुका है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने यूरोप के कई देशों को अपनी सुरक्षा रणनीति पर दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया है — और जर्मनी इस सूची में तेजी से ऊपर आ गया है.

    बढ़ते खतरे की चेतावनी

    जर्मनी के नागरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन विभाग (BBK) के प्रमुख राल्फ टिस्लर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में बताया कि देश में अब यह समझ बढ़ रही है कि युद्ध की स्थिति केवल इतिहास की बात नहीं, बल्कि एक संभावित भविष्य भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह अब एक "नई वास्तविकता" है, और जर्मनी को खुद को एक संभावित आक्रामक युद्ध के लिए तैयार करना होगा, जो रूस द्वारा 2029 तक किसी नाटो देश को निशाना बनाए जाने की आशंका के चलते और अधिक गंभीर हो गया है.

    पुराने बंकर, नई रणनीति

    जहां कई देश महंगे और समय लेने वाले नए बंकरों के निर्माण की योजना बना सकते हैं, वहीं जर्मनी ने एक व्यावहारिक रास्ता चुना है. BBK अब मौजूदा अवसंरचनाओं जैसे मेट्रो स्टेशन, बेसमेंट, भूमिगत पार्किंग और सार्वजनिक भवनों को शेल्टर के रूप में उपयोग करने की रणनीति पर काम कर रहा है. लक्ष्य है — कम से कम 10 लाख लोगों को आश्रय देने लायक स्थानों की व्यवस्था करना.

    जर्मनी में अभी 2,000 शीत युद्धकालीन बंकर मौजूद हैं, जिनमें से केवल 580 ही कार्यशील हालत में हैं. ये भी देश की कुल जनसंख्या के केवल 1% हिस्से को ही सुरक्षा दे सकते हैं. तुलना करें तो, फिनलैंड में 50,000 से अधिक शेल्टर हैं, जो लगभग 85% आबादी को सुरक्षित कर सकते हैं.

    सैन्य दृष्टिकोण में बदलाव

    जर्मनी ही नहीं, पूरा यूरोप अब रूस के आक्रामक रुख को लेकर सतर्क हो गया है. पोलैंड जैसे देश, जो रूस की सीमा से लगे हैं, अपने GDP का 5% तक रक्षा खर्च पर लगाने की योजना बना रहे हैं — जो नाटो में सबसे अधिक है. जर्मनी भी अब अमेरिका के दबाव में यूक्रेन को सैन्य सहायता देने वालों में शामिल हो चुका है, जबकि पहले वह रूस से बड़े पैमाने पर प्राकृतिक गैस की खरीद करने वाले प्रमुख देशों में था.

    समय के खिलाफ दौड़

    BBK प्रमुख टिस्लर ने यह साफ किया कि देश के पास समय कम है और खतरा गंभीर. इसीलिए, मौजूदा संसाधनों का अधिकतम उपयोग ही फिलहाल एकमात्र व्यावहारिक विकल्प है. उनकी एजेंसी इस गर्मी के अंत तक एक विस्तृत और कार्यान्वयन योग्य योजना पेश करेगी, जो जर्मनी की नागरिक सुरक्षा रणनीति को नई दिशा दे सकती है.

    ये भी पढ़ेंः Aaj Ka Rashifal 9 June 2025: चंद्रमा का गोचर आज तुला उपरांत वृश्चिक राशि में होगा, जानिए आपके लिए कितना फायदेमंद