पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंचाई के नाम पर छिड़े जल विवाद ने अब एक राजनीतिक संकट का रूप ले लिया है. सरकार की बहुचर्चित 'चोलिस्तान नहर परियोजना' के विरोध में खैरपुर शहर के पास लोगों ने रविवार को रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करते हुए ट्रेन सेवाएं बाधित कर दीं. प्रदर्शनकारी सिंधु नदी के पानी को दक्षिण पंजाब की ओर मोड़ने के फैसले से नाराज़ हैं.
क्या है मामला?
पाकिस्तानी सरकार ने ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव के तहत 3.3 अरब डॉलर की लागत से छह नई नहरों का निर्माण करने की योजना बनाई है, जिनसे दक्षिण पंजाब की 12 लाख एकड़ बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन सिंध के लोगों और नेताओं का मानना है कि यह परियोजना सिंध के हिस्से के पानी को छीनने की साजिश है.
राजनीतिक उबाल और सड़कों पर जनता
हालात तब और बिगड़ गए जब खुद सरकार की सहयोगी पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने भी इस परियोजना का कड़ा विरोध किया. पीपीपी ने चेतावनी दी है कि अगर परियोजना वापस नहीं ली गई, तो वे शहबाज शरीफ सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं.
रविवार को खैरपुर में सैकड़ों लोगों ने रेलवे ट्रैक पर बैठकर विरोध दर्ज कराया, जिससे पंजाब की ओर जाने वाली सभी ट्रेनों को रोकना पड़ा. विरोध इतना व्यापक है कि सिंध के वकील समुदाय ने भी लगातार तीसरे दिन हड़ताल की.
कहां-कहां असर दिखा?
क्या कह रहे हैं प्रदर्शनकारी?
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस नहर परियोजना के ज़रिए सिंध की उपजाऊ ज़मीन को रेगिस्तान में बदलने की कोशिश की जा रही है. वे इसे सिंध के जल अधिकारों पर सीधा हमला मानते हैं.
एक स्थानीय नागरिक के अनुसार, "यह सिंध के इतिहास का सबसे बड़ा जन आंदोलन बन चुका है. तीन दिनों से पंजाब की ओर जाने वाली सभी सड़कें बंद हैं."
क्या आगे सरकार झुकेगी?
वर्तमान हालात को देखते हुए, यह आंदोलन केवल सिंचाई परियोजना तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह अब एक सांस्कृतिक और क्षेत्रीय पहचान के मुद्दे में बदल चुका है. अगर विरोध यूं ही जारी रहा, तो यह शहबाज शरीफ सरकार की स्थिरता पर भी सवाल खड़े कर सकता है.
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