भारत के खिलाफ तुर्की के खलीफा और शहबाज क्या खिचड़ी पका रहे? 4 देशों के दौरे पर पहुंचे पाकिस्तानी पीएम

    भारत के साथ हालिया सैन्य तनाव के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक कूटनीतिक मिशन पर निकले हैं.

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    शहबाज-एर्दोगन | Photo: X

    भारत के साथ हालिया सैन्य तनाव के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक कूटनीतिक मिशन पर निकले हैं. 25 मई से शुरू हुए इस दौरे में वे चार देशों—तुर्की, ईरान, अजरबैजान और ताजिकिस्तान—का दौरा कर रहे हैं. यह यात्रा 30 मई तक चलेगी. जानकारों का मानना है कि यह दौरा न सिर्फ क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की कवायद है, बल्कि भारत के साथ चार दिन तक चले संघर्ष के बाद पाकिस्तान के लिए समर्थन जुटाने का भी एक प्रयास है.

    तुर्की-पाक रिश्तों पर फोकस, एर्दोगन से अहम बातचीत

    शहबाज शरीफ के इस दौरे में सबसे अहम पड़ाव तुर्की है, जहां वे राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से रविवार को इस्तांबुल में मुलाकात करेंगे. इस बातचीत में द्विपक्षीय सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति पर चर्चा होगी. खास बात ये है कि भारत में तुर्की के खिलाफ चल रहे बहिष्कार अभियान और संभावित व्यापारिक नुकसान के बीच यह मीटिंग हो रही है. भारत द्वारा लगाए गए आयात प्रतिबंधों से तुर्की को अनुमानित 315 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है.

    भारत-तुर्की संबंधों में खटास की वजह

    भारत और तुर्की के रिश्तों में तल्खी नई नहीं है, लेकिन हालिया घटनाओं ने इसे और बढ़ा दिया है. पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद तुर्की के पाकिस्तान के पक्ष में दिए गए बयानों और सैन्य सहयोग ने भारत को नाराज कर दिया है. पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान तुर्की का युद्धपोत कराची पहुंचा और तुर्की का सैन्य विमान भी पाकिस्तान गया. इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान तुर्की में बने ड्रोन का इस्तेमाल भी किया.

    भूराजनीतिक समीकरण: तुर्की की नई मुस्लिम धुरी

    तुर्की बीते कुछ वर्षों से खुद को मुस्लिम जगत में एक मजबूत शक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहा है—खासतौर पर सऊदी अरब के वर्चस्व को चुनौती देने की दिशा में. इस रणनीति के तहत तुर्की ने पाकिस्तान और मलेशिया जैसे गैर-खाड़ी देशों से रिश्ते मज़बूत किए हैं. तुर्की-पाकिस्तान धुरी दोनों देशों के लिए फायदेमंद है—जहां पाकिस्तान को पश्चिम एशिया में एक प्रभावशाली सहयोगी मिलता है, वहीं तुर्की को दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका.

    दौरे के पीछे का कूटनीतिक संदेश

    डॉन अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक, शहबाज शरीफ इस दौरे के ज़रिए उन देशों का धन्यवाद करना चाहते हैं जिन्होंने भारत-पाक संघर्ष के दौरान खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया. तुर्की और अजरबैजान ने इस दौरान पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिए थे. ऐसे में यह दौरा भारत के प्रति साझा रणनीति और रक्षा सहयोग को नई दिशा देने का भी मंच बन सकता है.

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