हिंद महासागर में तुर्की के 'खलीफा' एर्दोगन का बरसेगा कहर, इजरायल भी सदमे में; पाकिस्तान का नाम क्यों आया?

    तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन इन दिनों हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए उन्हें सोमालिया और मालदीव जैसे देशों का समर्थन मिल रहा है.

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    एर्दोगन | Photo: ANI

    तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन इन दिनों हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए उन्हें सोमालिया और मालदीव जैसे देशों का समर्थन मिल रहा है. तुर्की ने हाल ही में मालदीव को एक फास्ट अटैक जहाज (तेज हमला करने वाला पोत) गिफ्ट किया है, और साथ ही सोमालिया में एक बंदरगाह को लीज पर लिया है. इन कदमों से तुर्की हिंद महासागर में अपने नौसैनिक ऑपरेशन्स को फैलाना चाहता है. माना जा रहा है कि इस योजना में पाकिस्तान भी उसकी मदद कर सकता है.

    तुर्की ने मालदीव को जहाज गिफ्ट किया

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्की ने मालदीव को ‘टीसीजी वोल्कन’ नाम का युद्धपोत उपहार में दिया है. यह जहाज करीब 58 मीटर लंबा और 7 मीटर चौड़ा है, और इसमें 45 लोगों का क्रू तैनात हो सकता है. इस पोत की मदद से मालदीव अपने समुद्री इलाकों पर नजर रख सकेगा और जरूरत पड़ने पर अपनी रक्षा भी कर सकेगा. चूंकि मालदीव का भारत के साथ समुद्री सीमा को लेकर विवाद है, इसलिए यह आशंका भी जताई जा रही है कि मालदीव इस जहाज का इस्तेमाल उस इलाके में गश्त के लिए कर सकता है.

    सोमालिया में तुर्की का नौसैनिक अड्डा

    इसके अलावा, तुर्की ने सोमालिया में एक बंदरगाह को लीज पर लिया है. तुर्की का कहना है कि वह सोमालिया को सुरक्षा सहायता दे रहा है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका असली मकसद हिंद महासागर में अपनी पकड़ बनाना है. हाल के वर्षों में तुर्की ने अफ्रीका के कई देशों को हथियार, खासकर ड्रोन, बेचे हैं, जिससे उसके इन देशों से सैन्य रिश्ते मजबूत हुए हैं. मालदीव और सोमालिया समुद्री पड़ोसी माने जाते हैं, क्योंकि उनके विशेष आर्थिक क्षेत्रों में कुछ हिस्सा एक-दूसरे से मिलता है.

    इस वक्त तुर्की के दो युद्धपोत पहले से ही सोमालिया के पास तैनात हैं. तुर्की का दावा है कि ये पोत सोमालिया की समुद्री सीमा की रक्षा के लिए हैं. लेकिन अब तुर्की के इन सैन्य संसाधनों को मालदीव तक फैलाने की कोशिश को हिंद महासागर में एक "सुरक्षा गलियारा" बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि यह गलियारा सोमालिया से शुरू होकर मालदीव तक फैलेगा, और इसमें सेशेल्स जैसे और देश भी जुड़ सकते हैं.

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