यूक्रेन के बाद अब तालिबान के खिलाफ युद्ध छेड़ेंगे पुतिन? अफगान सीमा पर उतरे कमांडो; कुछ बड़ा होगा!

    रूस ने तालिबान के साथ राजनयिक और आर्थिक रिश्ते बनाए हुए हैं, फिर भी रूस और ताजिकिस्तान सीमा पार से आने वाले चरमपंथियों और हथियारों की तस्करी को लेकर सतर्क हैं.

    Russia wage war against Taliban Afghan border
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    रूस ने अफगानिस्तान की सीमा के पास अपनी सैन्य ताकत दिखाई है. यह ताकत दिखाना रूस और ताजिकिस्तान के बीच हुए एक संयुक्त सैन्य अभ्यास का हिस्सा था. इस दौरान दोनों देशों की स्पेशल फोर्सेज ने मिलकर अफगान सीमा के पास आतंकवाद विरोधी अभ्यास किया, जिसका मकसद चरमपंथी समूहों से निपटना था. इस अभ्यास की जानकारी रूसी रक्षा मंत्रालय ने दी है. बता दें कि ताजिकिस्तान एक पूर्व सोवियत देश है, जिसके रूस से मजबूत रक्षा संबंध हैं.

    7 अप्रैल को शुरू हुआ था अभ्यास

    रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह अभ्यास 7 अप्रैल को शुरू हुआ था और ताजिकिस्तान के एक प्रशिक्षण मैदान में किया गया. इसमें ओरलान-10 ड्रोन, टैंक, तोपें और Mi-24 हेलिकॉप्टर जैसे आधुनिक हथियारों और उपकरणों का इस्तेमाल हुआ. इसका मकसद यह था कि दोनों देशों की सेनाएं दुर्गम इलाकों में अभियान चलाने और आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहें.

    अभ्यास में एक नकली दुश्मन की स्थिति का पता लगाना और फिर उस पर सटीक तोपखाना हमला करना भी शामिल था. इस तरह की ट्रेनिंग से सेना की प्रतिक्रिया क्षमता और तालमेल बेहतर होता है.

    हथियारों की तस्करी को लेकर सतर्क

    रूस ने तालिबान के साथ राजनयिक और आर्थिक रिश्ते बनाए हुए हैं, फिर भी रूस और ताजिकिस्तान सीमा पार से आने वाले चरमपंथियों और हथियारों की तस्करी को लेकर सतर्क हैं. दोनों देश सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) के सदस्य हैं, जो एक क्षेत्रीय सुरक्षा गठबंधन है. इस संगठन ने अफगानिस्तान से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए ताजिकिस्तान में पहले भी कई सैन्य अभ्यास किए हैं.

    मार्च 2025 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मास्को में ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन से मुलाकात की थी. पुतिन ने कहा था कि रूस मध्य एशियाई देशों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर है और अफगानिस्तान से पैदा होने वाले खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने इस क्षेत्र में सहयोग को रणनीतिक रूप से बेहद जरूरी बताया.

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