वॉशिंगटन/ओस्लो: अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक हैरान कर देने वाला मोड़ सामने आया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार पाने की अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर न केवल खुलकर बात की, बल्कि अब इस विषय पर उन्होंने नॉर्वे के वित्त मंत्री को भी फोन करके सीधी धमकी दे डाली है.
स्थानीय नॉर्वेजियन बिजनेस अख़बार डेगेन्स नेरिंगस्लिव की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रंप ने हाल ही में नॉर्वे के वित्त मंत्री से टेलीफोन पर बातचीत करते हुए कहा कि अगर उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया गया, तो अमेरिका नॉर्वे पर भारी टैरिफ लगा देगा.
ट्रंप की ये बातचीत उस समय हुई जब वित्त मंत्री ओस्लो की सड़कों पर टहल रहे थे. बताया गया कि बातचीत का विषय पहले अमेरिका और नॉर्वे के बीच आर्थिक सहयोग और आयात-निर्यात को लेकर था, लेकिन जल्द ही ट्रंप ने अपनी नोबेल की ख्वाहिश जताते हुए धमकी वाले लहजे में बात शुरू कर दी.
नोबेल मेरा हक है- ट्रंप की ज़ोरदार दलील
डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी दोहराया कि उन्होंने दुनिया के कई हिस्सों में शांति स्थापना में अहम भूमिका निभाई है, इसलिए उन्हें भी वह सम्मान मिलना चाहिए जो अमेरिका के चार पूर्व राष्ट्रपतियों को मिल चुका है.
ट्रंप का कहना है कि उनकी अगुआई में अमेरिका ने मध्य-पूर्व, पाकिस्तान-भारत, और कंबोडिया जैसे देशों के बीच तनाव कम करने और युद्धविराम की दिशा में कदम उठाए हैं.
वे बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि इतिहास में उनकी भूमिका शांति दूत जैसी रही है, और इसीलिए वे नोबेल शांति पुरस्कार के योग्य हैं.
नोबेल की राजनीति और ट्रंप का दबाव
गौरतलब है कि नोबेल शांति पुरस्कार का निर्णय नॉर्वे की नोबेल कमेटी द्वारा लिया जाता है, जो पूरी तरह से स्वतंत्र और राजनीतिक दखल से दूर रहती है.
हालांकि पुरस्कार की घोषणा नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में होती है, और नॉर्वे सरकार का इस प्रक्रिया में कोई आधिकारिक हस्तक्षेप नहीं होता.
इसके बावजूद ट्रंप की तरफ से नॉर्वे के शीर्ष मंत्री पर इस तरह का राजनीतिक दबाव बनाना गंभीर सवाल खड़े करता है- क्या वैश्विक सम्मान अब सामरिक ताकत और राजनीतिक धमकी के आधार पर तय होंगे?
पहले भी जता चुके हैं असंतोष
यह पहला मौका नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल पुरस्कार को लेकर खुलकर नाराज़गी जताई हो. उन्होंने इससे पहले भी कई बार मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर कहा है कि उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि उन्होंने "दुनिया को युद्ध से दूर रखने में" अभूतपूर्व काम किया है.
ट्रंप यह तर्क देते हैं कि बाराक ओबामा, जिमी कार्टर और थियोडोर रूज़वेल्ट जैसे पूर्व राष्ट्रपतियों को शांति पुरस्कार मिला है, तो उन्हें क्यों नहीं?
उनके समर्थकों ने भी कई देशों से ट्रंप के नाम को नोमिनेट करवाया है, जिनमें इजरायल, पाकिस्तान, और कंबोडिया जैसे देश शामिल हैं.
हाल ही में हुए मध्य-पूर्व के अब्राहम समझौतों, और भारत-पाक सीमा पर हुए वार्ताओं में संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता को भी ट्रंप अपनी बड़ी उपलब्धियों में गिनाते हैं.
आर्थिक हथियार के रूप में टैरिफ की धमकी
नोबेल पुरस्कार को लेकर यह विवाद तब और गहराया जब अमेरिका ने नॉर्वे से आने वाले कुछ उत्पादों पर 15% टैरिफ लगाने की घोषणा की.
हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे व्यापार नीति का हिस्सा बताया गया है, लेकिन ट्रंप की नॉर्वेजियन मंत्री से हुई बातचीत में यह साफ झलकता है कि टैरिफ का कार्ड नोबेल पुरस्कार को लेकर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए खेला जा रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रवैया न केवल कूटनीतिक मर्यादा के खिलाफ है, बल्कि यह नोबेल पुरस्कार की निष्पक्षता और प्रतिष्ठा पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है.
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