अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा छेड़ दी है. शनिवार को उन्होंने एक कड़े बयान में नाटो सदस्य देशों पर निशाना साधा और युद्ध की आग को बुझाने के लिए एक अलग ही रणनीति पेश की. ट्रंप के मुताबिक, यदि रूस से तेल की खरीद पूरी तरह बंद कर दी जाए और चीन पर भारी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाया जाए, तो युद्ध खुद-ब-खुद थम जाएगा.
ट्रंप ने दावा किया कि अगर नाटो देश और अमेरिका मिलकर रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 50% से 100% तक टैरिफ लगाएं, तो इससे मॉस्को की आर्थिक रीढ़ टूट जाएगी. उन्होंने कहा कि ये शुल्क युद्ध खत्म होने के बाद हटाए जा सकते हैं, लेकिन जब तक ये लागू रहेंगे, रूस पर दबाव बना रहेगा. उनके अनुसार, यह एकमात्र रास्ता है जिससे रूस को उसकी सैन्य गतिविधियों में लगने वाली आर्थिक ऊर्जा से वंचित किया जा सकता है.
"यह मेरी नहीं, बाइडेन और जेलेंस्की की लड़ाई है"
राष्ट्रपति ने खुद को युद्ध से अलग करते हुए कहा, यूक्रेन युद्ध मेरी नहीं, बल्कि जो बाइडेन और वोलोदिमिर जेलेंस्की की लड़ाई है. मैं बस निर्दोष लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रहा हूं. ट्रंप ने यह भी दावा किया कि केवल पिछले एक हफ्ते में 7,118 लोगों की मौत हुई है, जिसे उन्होंने “पागलपन” करार दिया.
नाटो की रणनीति पर उठाए सवाल
ट्रंप ने नाटो को उसकी मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि नाटो की रूस से तेल खरीद उसकी सबसे बड़ी रणनीतिक भूल रही है. उन्होंने कहा कि नाटो की जीत के लिए प्रतिबद्धता “100% से बहुत कम” है. उनके अनुसार, “अगर मेरी रणनीति मानी जाए, तो यह युद्ध बहुत जल्दी खत्म हो सकता है.”
“चीन रूस की ताकत है – उस पर दबाव डालो”
ट्रंप का मानना है कि चीन ही रूस की सबसे बड़ी शक्ति बना हुआ है, क्योंकि वह तेल और अन्य संसाधनों की खरीद जारी रखे हुए है. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि चीन पर आर्थिक दबाव डाला जाए और उस पर रूसी तेल खरीदने के लिए टैक्स लगाया जाए, तो रूस की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो सकता है. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि वो रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए सभी नाटो देशों का एकजुट होना जरूरी है.
जी-7 देशों से भी की सख्ती की मांग
इस मुद्दे को केवल नाटो तक सीमित न रखते हुए अमेरिका ने जी-7 देशों से भी आग्रह किया कि रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाया जाए. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि राजदूत जैमीसन ग्रीर ने जी-7 के वित्त मंत्रियों से वार्ता के दौरान ट्रंप की रणनीति को आगे बढ़ाते हुए यह मांग रखी. उनका कहना है कि “रूस की युद्ध मशीन को आर्थिक ईंधन देना बंद करना ही युद्ध रोकने का सबसे कारगर तरीका है.”
यह भी पढ़ें: ये है दुनिया का इकलौता देश, जिसे आज तक कोई भी नहीं बना पाया गुलाम, नाम जान हैरत में पड़ जाएंगे आप