मध्य पूर्व में चल रहे तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है. अमेरिका ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु स्थलों पर एक सुनियोजित और घातक हवाई हमला कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल के जरिए साझा की.
“फोर्डो अब नहीं बचा”
ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित न्यूक्लियर साइट्स को सफलतापूर्वक निशाना बनाया. उन्होंने लिखा, “हमने ईरान में तीन परमाणु स्थलों पर अपना बहुत सफल हमला पूरा कर लिया है. पहले टारगेट फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया. अब सभी विमान सुरक्षित अपने घर की ओर लौट रहे हैं.” इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “FORDOW IS GONE”—यानी फोर्डो अब पूरी तरह से तबाह हो चुका है.
पहाड़ों के नीचे छिपे फोर्डो को भी नहीं छोड़ा
ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स कोम शहर के पास एक पहाड़ी इलाके में स्थित है और इसे भूमिगत सुरंगों के जरिए लगभग 60–90 मीटर गहराई में छिपाया गया था. 2009 में जब इसका पहली बार खुलासा हुआ, तभी से यह अमेरिका और इजरायल की नजरों में था. यहां करीब 3,000 यूरेनियम संवर्धन सेंट्रीफ्यूज लगे होने की बात कही जाती है.
30,000 पाउंड वाले बम से हुआ हमला
हालांकि ट्रंप ने हमले की रणनीति का खुलासा नहीं किया, लेकिन अमेरिकी सैन्य सूत्रों के अनुसार, इस मिशन में B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल हुआ. ये विमान खासतौर पर गहराई में बने दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाए गए हैं और GBU-57 'बंकर बस्टर' बम ले जा सकते हैं, जिनका वजन लगभग 30,000 पाउंड होता है.
ईरानी सुरक्षा प्रणाली नाकाम
स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार देर रात फोर्डो साइट के पास जबरदस्त धमाकों की आवाजें सुनी गईं. ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी FARS ने बताया कि धमाके से पहले एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय कर दिया गया था, लेकिन स्टील्थ तकनीक के आगे ईरान की सुरक्षा प्रणाली असफल रही और हमला सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.
2 हफ्ते की चेतावनी के बाद आई कार्रवाई
इस हमले से ठीक दो सप्ताह पहले ट्रंप ने ईरान को कूटनीतिक समाधान निकालने के लिए डेडलाइन दी थी. दुनिया को उम्मीद थी कि अमेरिका इस दौरान हमला नहीं करेगा, लेकिन शनिवार रात यह भ्रम टूट गया और फोर्डो समेत तीन ठिकानों पर बम बरस गए.
क्या अब युद्ध की ओर बढ़ रहा है मामला?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ईरान इस हमले पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है. क्या यह एक सीमित सैन्य कार्रवाई थी या फिर इसका असर भविष्य में बड़े युद्ध का रूप ले सकता है? दुनिया की निगाहें अब तेहरान और वाशिंगटन की अगली चाल पर टिकी हैं.
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