ट्रंप-पुतिन की 'दोस्ती' में आई दरार, अमेरिका-रूस अब जानी दुश्मन; यूक्रेन युद्ध में अब धुआंधार बरसेंगे बम

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बढ़ती तल्खी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है.

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    ट्रंप-पुतिन | Photo: AI

    वाशिंगटनः जहां दुनिया रूस और अमेरिका के बीच किसी संभावित समझौते की उम्मीद कर रही थी, वहीं अब दोनों महाशक्तियों के नेताओं की जुबानी जंग खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बढ़ती तल्खी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है.

    “पुतिन आग से खेल रहे हैं”

    हाल ही में ट्रंप ने एक तीखा बयान जारी कर कहा, “पुतिन आग से खेल रहे हैं, और इसका अंजाम बेहद खतरनाक हो सकता है.” यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की है, जिनका असर विशेष रूप से रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों पर पड़ने वाला है.

    “WW3 को नए सिरे से परिभाषित करना होगा”

    ट्रंप की चेतावनी पर रूस की प्रतिक्रिया भी उतनी ही आक्रामक रही. रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका को चेताते हुए कहा, “अगर अमेरिका को लगता है कि इससे बुरा कुछ हो सकता है, तो उन्हें विश्व युद्ध-3 (WW3) से आगे की कल्पना करनी चाहिए.” यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि रूस अब झुकने को तैयार नहीं है.

    ट्रंप-पुतिन मुलाकात की कोशिशें नाकाम

    सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद कम से कम तीन बार पुतिन से मुलाकात की पेशकश की थी, लेकिन हर बार रूस की ओर से या तो कोई जवाब नहीं आया, या फिर हालात का हवाला देकर मीटिंग टाल दी गई. ट्रंप को उम्मीद थी कि उनके “डीलमेकर” रवैये से पुतिन जल्दी टेबल पर आएंगे, लेकिन क्रेमलिन की रणनीतिक चुप्पी ने ट्रंप को असहज कर दिया है.

    शांति के दावे और जमीनी हकीकत में फर्क

    ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि वे सत्ता में आते ही 24 घंटे में रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कर देंगे. लेकिन अब, चार महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है और हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ गए हैं. यूक्रेन की राजनीतिक अस्थिरता, रूस की चुप्पी और यूरोपीय दबावों के चलते शांति वार्ता की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी है.

    रणनीतिक विरोध और गहराती खाई

    यह पूरा घटनाक्रम एक बार फिर दर्शाता है कि अमेरिका और रूस के बीच मूलभूत वैचारिक अंतर है. ट्रंप की सीधी, डीलिंग शैली और पुतिन की गहरी रणनीतिक सोच एक-दूसरे से टकरा रही हैं. दोस्ती की जमीन तैयार नहीं हो पा रही, और संदेह की दीवारें और ऊंची हो रही हैं.

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