कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से एक गंभीर साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें एक 57 वर्षीय महिला को "डिजिटल अरेस्ट" के नाम पर ठगा गया. ठगों ने महिला को कई महीनों तक इस धोखाधड़ी में फंसाए रखा और उसे ₹2.05 करोड़ से अधिक का नुकसान करवा दिया. यह घटना उस समय उजागर हुई जब महिला ने व्हाइटफील्ड CEN क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई.
धोखाधड़ी की शुरुआत
यह चौंकाने वाला मामला 19 जून 2025 से शुरू हुआ, जब महिला को एक अजनबी नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को ब्लू डार्ट कूरियर का कर्मचारी बताया और यह दावा किया कि महिला के आधार कार्ड से जुड़ा एक पैकेज मुंबई पुलिस द्वारा जब्त किया गया है, जिसमें ड्रग्स की मौजूदगी की सूचना मिली है. इसके बाद, महिला को "वेरिफिकेशन" के लिए एक ऐप इंस्टॉल करने को कहा गया, जिससे वह पूरी तरह से साइबर ठगों के नियंत्रण में आ गई.
"डिजिटल अरेस्ट" का झांसा देकर बनाया शिकार
धोखाधड़ी करने वाले ठगों ने महिला को विश्वास दिलाया कि उसे "डिजिटल अरेस्ट" किया गया है. इसके बाद, उन्होंने पुलिस अधिकारियों के तौर पर वीडियो कॉल पर महिला से संपर्क किया. इन ठगों ने खुद को इंस्पेक्टर और डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) बताकर महिला को डराया और कहा कि यदि वह सहयोग नहीं करती तो उसे और उसके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इसके बाद महिला को दबाव में डालते हुए विभिन्न तरह से पैसे मांगे गए.
संपत्ति बेचने और बैंक से लोन लेने को मजबूर किया
साइबर अपराधियों ने महिला को लगातार मानसिक दबाव में रखा. वे उसे बार-बार धमकाते रहे कि उसके बेटे की सुरक्षा खतरे में है और यह सब ठीक करने के लिए उसे और पैसे भेजने होंगे. दबाव में आकर महिला ने अपनी कई संपत्तियां बेच दीं, जिनमें दो प्लॉट और एक अपार्टमेंट शामिल था. साथ ही, महिला ने ICICI बैंक से लोन लेकर ठगों को पैसे भेजे. इसके बाद भी धोखाधड़ी का सिलसिला चलता रहा.
ठगों को भेजे गए करोड़ों रुपये
20 जून से 27 नवंबर 2025 के बीच महिला ने कुल ₹2.05 करोड़ से अधिक की राशि ठगों के अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर की. 27 नवंबर 2025 को महिला को ठगी का एहसास हुआ जब ठगों ने उसे स्टेशन आने के लिए कहा, जहां वह "NOC" प्राप्त कर सकती थी. महिला ने तुरंत व्हाइटफील्ड CEN क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरू की गई.
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच जारी
व्हाइटफील्ड CEN क्राइम पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66(C) और 66(D) के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने आरोपियों और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए बैंक खातों के नेटवर्क का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है.
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