Trump Meet with Asim Munir: पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वॉशिंगटन में हुई मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है. यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक नहीं थी, बल्कि रणनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है. व्हाइट हाउस में ट्रंप द्वारा दिए गए लंच और इस दौरान की गई बातचीत ने दोनों देशों के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ दिया है.
असीम मुनीर को ट्रंप ने बताया 'स्मार्ट', पर रखी बड़ी मांग
मुलाकात के बाद ट्रंप ने मुनीर की तारीफ करते हुए उन्हें "स्मार्ट और सम्माननीय" नेता बताया. लेकिन यह मुलाकात सिर्फ तारीफों तक सीमित नहीं रही. CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने पाकिस्तान से अपने सैन्य अड्डों और बंदरगाहों तक सीधी पहुंच की मांग की है, और इसके बदले में उन्हें उन्नत सैन्य तकनीक, जैसे फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स और मिसाइल सिस्टम्स देने का प्रस्ताव दिया है.
चीन और रूस से सैन्य रिश्ते तोड़ो
इस डील की सबसे अहम बात यह है कि ट्रंप ने पाकिस्तान के सामने एक सख्त शर्त रखी है — "अगर पाकिस्तान को अमेरिका की सैन्य तकनीक चाहिए, तो उसे चीन और रूस के साथ अपने सैन्य और रणनीतिक लेन-देन को खत्म करना होगा. गौरतलब है कि पाकिस्तान बीते कुछ वर्षों में चीन से कई हथियार और सैन्य प्रणालियां खरीद चुका है और दोनों देशों के संबंध दिन-ब-दिन मजबूत होते जा रहे हैं.
ईरान पर जंग की स्थिति में पाकिस्तान की भागीदारी चाहता है अमेरिका
ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को सिर्फ रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि भविष्य के सैन्य सहयोगी के रूप में देख रहा है. रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि ट्रंप ने मुनीर से यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर अमेरिका ईरान के खिलाफ किसी सैन्य कार्रवाई में शामिल होता है, तो पाकिस्तान को सैन्य और रसद सहयोग देना होगा. इसके लिए अमेरिका को पाकिस्तान के एयरबेस, पोर्ट्स और लॉजिस्टिक चैन तक पहुंच चाहिए होगी.
बैठक में आतंकवाद, टेक्नोलॉजी और क्षेत्रीय तनाव पर भी चर्चा
पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ISPR के मुताबिक, यह बैठक तय समय से कहीं ज्यादा लंबी चली और इसमें आतंकवाद विरोधी सहयोग, आर्थिक सहयोग, खनिज संसाधन, AI, क्रिप्टोकरेंसी, और अन्य उभरती टेक्नोलॉजी को लेकर भी बातचीत हुई. इसके अलावा ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भी गंभीर चर्चा हुई, जहां दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय शांति की आवश्यकता पर बल दिया.
नागरिक सरकार की गैरमौजूदगी ने बढ़ाई हलचल
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि इस उच्चस्तरीय मुलाकात में पाकिस्तान की नागरिक सरकार का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था. इससे यह संदेश गया है कि वॉशिंगटन इस वक्त पाकिस्तान की सत्ता में सैन्य नेतृत्व को प्राथमिकता दे रहा है.
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