पाकिस्तान के दोस्त की व्हाइट हाउस में भारी बेइज्जती, ट्रंप ने दुनिया के सामने लिए मजे

    Donald Trump insults Erdogan : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने विवादास्पद बयानों और अप्रत्याशित व्यवहार की वजह से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं. गुरुवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप की दो अहम मुलाकातें हुईं, पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से और फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर से.

    Trump insults Pakistan friend Turkish President Recep Tayyip Erdogan at the White House
    Image Source: Social Media/X

    Donald Trump insults Erdogan : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने विवादास्पद बयानों और अप्रत्याशित व्यवहार की वजह से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं. गुरुवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप की दो अहम मुलाकातें हुईं, पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से और फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर से. दोनों ही बैठकें केवल राजनीतिक नहीं रहीं, बल्कि ट्रंप के बयानों और बर्ताव की वजह से यह राजनयिक चर्चाओं का हिस्सा बन गईं.

    जहां एक ओर एर्दोगन से मुलाकात में ट्रंप ने व्यंग्य और शाब्दिक तीर चलाए, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को जिस तरह से व्यवहार मिला, वह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर सवाल खड़े करता है.

    एर्दोगन से मुलाकात, तारीफ के साथ तंज

    डोनाल्ड ट्रंप और रेसेप तैयप एर्दोगन के रिश्ते हमेशा से जटिल रहे हैं, कभी गर्मजोशी से भरे तो कभी तकरार से. गुरुवार को व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के दौरान ट्रंप ने एक बार फिर अपने अनोखे अंदाज़ में बातों का रुख मोड़ दिया.

    बैठक के दौरान ट्रंप ने एर्दोगन की ओर इशारा करते हुए कहा, "ये चुनावी धांधली (Rigged Elections) के बारे में सबसे ज़्यादा जानते हैं." यह टिप्पणी तुर्की की घरेलू राजनीति, विपक्ष पर दबाव, और वहां के चुनावी माहौल की ओर संकेत कर रही थी. ट्रंप ने अपनी बात को खुद के अनुभव से जोड़ते हुए कहा कि उन्हें भी अपने पहले कार्यकाल के बाद चुनावी धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा, और शायद एर्दोगन उन्हें इससे बेहतर समझते हों.

    हालांकि बात को थोड़ा नरम करने के लिए ट्रंप ने बाद में एर्दोगन को "टफ मैन" और "हाईली ओपिनियनटेड" यानी मजबूत और स्पष्ट सोच वाला नेता बताया. लेकिन तब तक मीडिया में उनका पहला बयान सुर्खियां बन चुका था.

    मुलाकात के दौरान ट्रंप ने तुर्की से रूस के साथ तेल के सौदों को बंद करने की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर तुर्की ऐसा करता है, तो अमेरिका उस पर लगे कुछ प्रतिबंधों को हटाने और एफ-35 फाइटर जेट प्रोजेक्ट पर फिर से बातचीत के लिए तैयार हो सकता है.

    शहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना प्रमुख के साथ व्यवहार ने खींचा ध्यान

    एर्दोगन के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर व्हाइट हाउस पहुंचे. लेकिन ट्रंप के रवैये ने इस मुलाकात को सामान्य नहीं रहने दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों नेताओं को ओवल ऑफिस के बाहर करीब 30 मिनट तक इंतज़ार करना पड़ा. मीडिया बातचीत के दौरान ट्रंप ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, "शायद वे पहले से ही इस कमरे में हों, मुझे नहीं पता… हो सकता है कहीं यहीं ओवल ऑफिस में ही हों."

    यह टिप्पणी मज़ाक के तौर पर कही गई थी, लेकिन यह एक कूटनीतिक असंवेदनशीलता की मिसाल बन गई. जहां एर्दोगन के साथ हुई मीटिंग की तस्वीरें और विवरण सोशल मीडिया और प्रेस में तुरंत जारी किए गए, वहीं शहबाज शरीफ और जनरल मुनीर के साथ बैठक को लेकर ट्रंप की तरफ से कोई तस्वीर या विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई.

    हालांकि बाद में ट्रंप ने अपने अंदाज़ में "ग्रेट लीडर्स" कहकर पाकिस्तानी प्रतिनिधियों की तारीफ कर दी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि मीटिंग से पहले इस तरह का बर्ताव और वक्तव्य भारत-पाकिस्तान जैसी संवेदनशील कूटनीतिक पृष्ठभूमि वाले देशों के लिए उचित नहीं कहा जा सकता.

    पाकिस्तान की ओर से ‘सकारात्मक’ बताया गया माहौल

    पाकिस्तानी सरकार की ओर से इस बैठक को लेकर बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि बैठक करीब 1 घंटा 20 मिनट तक चली और यह "सकारात्मक माहौल" में हुई. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में व्यापार, सुरक्षा सहयोग, अफगानिस्तान में स्थिरता और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई. हालांकि, अमेरिकी पक्ष से इस बैठक पर कोई ठोस या विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्रंप प्रशासन इस मुलाकात को प्राथमिकता नहीं दे रहा था.

    ट्रंप की कूटनीति या निजी शैली?

    डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक करियर में यह कोई नई बात नहीं है कि वह आधिकारिक बैठकों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बेहद बिंदास और अनफ़िल्टर्ड अंदाज़ में बातचीत करते हैं. कभी यह उनकी ‘डीलमेकिंग’ रणनीति मानी जाती है, तो कभी इसे राजनयिक असंवेदनशीलता कहा जाता है.

    उनका यह अंदाज़ उन्हें उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय बनाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए कई बार मुश्किलें खड़ी करता है. चाहे वह उत्तर कोरिया के किम जोंग उन से मुलाकात हो, चीन के शी जिनपिंग के साथ टैरिफ युद्ध, या फिर नाटो सहयोगियों के साथ बैठकें, ट्रंप का स्टाइल हमेशा लीक से हटकर रहा है.

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