वॉशिंगटन डीसी: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर एक बार फिर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने दावा किया है कि भारत अब अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ (शुल्क) कम करने की पेशकश कर रहा है, लेकिन उनके अनुसार, यह कदम बहुत देर से उठाया गया है.
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर सामने आया है जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में हिस्सा लेकर चीन से लौटे हैं. इस समिट में मोदी ने रूस और चीन के राष्ट्राध्यक्षों के साथ मुलाकात की, जिसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
भारत से अमेरिका को एकतरफा नुकसान- ट्रंप
अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को "एकतरफा" करार दिया. उन्होंने लिखा, "भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में सामान बेचता है, लेकिन अमेरिका भारत में अपना माल नहीं बेच पाता, क्योंकि भारत ने हमारे उत्पादों पर बहुत ऊंचे टैरिफ लगाए हैं. यह दशकों से चली आ रही एकतरफा आपदा है."
ट्रंप का तर्क है कि अमेरिकी कंपनियों को भारत में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होता है, क्योंकि टैरिफ की वजह से उनके उत्पाद महंगे हो जाते हैं. इससे भारत को फायदा होता है, लेकिन अमेरिका को नुकसान.
रूस से भारत की खरीद-फरोख्त पर भी सवाल
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत अमेरिका के बजाय रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदता है. उन्होंने इस बात को भी अमेरिका के साथ "असंतुलन" का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, "भारत अपनी अधिकांश ऊर्जा और सैन्य जरूरतें रूस से पूरी करता है. वह अमेरिका से बहुत कम लेता है, जो कि हमारी नीति और व्यापार दोनों के लिए चिंता का विषय है."
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत रूस के साथ बढ़ते तेल व्यापार और रक्षा सहयोग के कारण वैश्विक मंच पर आलोचना और समर्थन दोनों झेल रहा है. अमेरिका लंबे समय से चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए और उसके साथ रणनीतिक साझेदारी को गहरा करे.
ट्रंप का दावा- भारत ने टैरिफ घटाने की पेशकश की
डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, भारत ने हाल ही में अमेरिका को यह प्रस्ताव दिया है कि वह उसके उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ में कटौती कर सकता है या पूरी तरह से समाप्त कर सकता है. हालांकि, ट्रंप का कहना है कि यह कदम अब बहुत देर से आया है.
ट्रंप ने कहा, "अब जब भारत ने टैरिफ को खत्म करने की पेशकश की है, तब तक बहुत देर हो चुकी है. उन्हें यह कदम वर्षों पहले उठाना चाहिए था."
यह बयान यह स्पष्ट करता है कि ट्रंप भारत से पुराने आर्थिक रवैये को लेकर नाराज हैं, और चाहते हैं कि अब संबंधों में अमेरिका को प्राथमिकता दी जाए.
किन सेक्टर्स को मिल सकता है फायदा?
अगर भारत वास्तव में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में कटौती करता है, तो कुछ क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देखा जा सकता है:
यह बदलाव भारतीय उपभोक्ताओं को नई तकनीक और विकल्प देने के साथ-साथ अमेरिकी कंपनियों के लिए नए अवसर भी खोलेगा.
भारत की कूटनीति- संतुलन और स्वदेशी प्राथमिकता
प्रधानमंत्री मोदी की हालिया चीन यात्रा और पुतिन के साथ मुलाकात यह दिखाती है कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है. भारत की नीति किसी एक गुट में शामिल होने की नहीं, बल्कि सभी देशों के साथ राष्ट्रीय हितों के आधार पर सहयोग करने की रही है.
मोदी ने SCO समिट के दौरान यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के खिलाफ जाकर कोई व्यापार समझौता नहीं करेगा. अमेरिका लंबे समय से चाहता रहा है कि भारत कृषि और डेयरी क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों को प्रवेश दे, लेकिन भारत इस पर अडिग है.
अमेरिका की प्रतिक्रिया- दोस्ती अभी भी कायम
हालांकि ट्रंप के बयान में नाराजगी साफ झलक रही है, अमेरिका की आधिकारिक प्रतिक्रिया कुछ अलग नजर आई है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत-अमेरिका के संबंधों को “21वीं सदी की सबसे अहम साझेदारी” बताया.
उन्होंने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते तकनीक, रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग के जरिए और मजबूत हो रहे हैं. यह साझेदारी लोगों के विश्वास और आपसी समझ पर आधारित है."
यह बयान यह संकेत देता है कि अमेरिका में भी भारत को लेकर अलग-अलग राय है- एक तरफ ट्रंप जैसे नेता व्यापार घाटे और रणनीतिक मुद्दों को लेकर आक्रामक हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक स्तर पर साझेदारी को आगे बढ़ाया जा रहा है.
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