क्या है "जी राम जी" योजना, जो लेगी MANREGA की जगह? सरकार संसद में पेश करेगी इससे जुड़ा विधेयक

    MANREGA Bill 2025: केंद्र सरकार ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है. सरकार लोकसभा में एक नया विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिसके तहत करीब दो दशक पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को निरस्त करने का प्रस्ताव रखा गया है.

    Ji Ram Ji scheme which will replace MANREGA government will present a bill in Parliament
    Image Source: ANI/ File

    MANREGA Bill 2025: केंद्र सरकार ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है. सरकार लोकसभा में एक नया विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिसके तहत करीब दो दशक पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को निरस्त करने का प्रस्ताव रखा गया है. इसकी जगह सरकार एक नए कानून को लागू करना चाहती है, जिसका नाम विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 रखा गया है.

    सूत्रों के मुताबिक, इस नए विधेयक का मकसद मनरेगा को पूरी तरह खत्म करना नहीं, बल्कि उसे एक नए और संशोधित फ्रेमवर्क के जरिए रिप्लेस करना है. सरकार का मानना है कि मौजूदा ग्रामीण रोजगार योजना को समय की जरूरतों के हिसाब से अपडेट करना जरूरी हो गया है. नए कानून के जरिए रोजगार के साथ-साथ आजीविका, कौशल विकास और ग्रामीण आत्मनिर्भरता पर ज्यादा फोकस किया जाएगा.

    ‘विकसित भारत 2047’ से जुड़ा है कानून का विजन

    इस प्रस्तावित विधेयक को सरकार के दीर्घकालिक लक्ष्य ‘विकसित भारत @2047’ से जोड़कर देखा जा रहा है. सरकार का कहना है कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना बेहद जरूरी है. नया रोजगार कानून इसी सोच के तहत तैयार किया गया है, ताकि गांवों में केवल अस्थायी रोजगार ही नहीं, बल्कि स्थायी आजीविका के अवसर भी पैदा किए जा सकें.

    ग्रामीण रोजगार और विकास पर नया फोकस

    मनरेगा का मूल उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को न्यूनतम रोजगार की गारंटी देना रहा है. वहीं, नए विधेयक में रोजगार के साथ-साथ ग्रामीण विकास, संसाधनों के बेहतर उपयोग, स्थानीय जरूरतों के अनुसार काम और लोगों की आय बढ़ाने पर जोर देने की बात कही जा रही है. माना जा रहा है कि इस कानून के तहत रोजगार के दिनों, काम के स्वरूप और भुगतान व्यवस्था में भी बदलाव हो सकते हैं.

    संसदीय प्रक्रिया की ओर बढ़ता विधेयक

    यह विधेयक सोमवार को जारी लोकसभा की सप्लीमेंट्री लिस्ट में शामिल किया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार इसे मौजूदा सत्र में पेश कर सकती है. विधेयक के संसद में आने के बाद इस पर विस्तृत चर्चा होगी और विपक्ष की ओर से भी सवाल उठाए जाने की संभावना है. अगर यह बिल पारित होता है, तो ग्रामीण रोजगार नीति में यह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव माना जाएगा.

    ग्रामीण भारत के भविष्य से जुड़ा अहम फैसला

    कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम ग्रामीण भारत के भविष्य से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. मनरेगा जैसे बड़े और प्रभावशाली कानून की जगह नया ढांचा लाना नीतिगत रूप से अहम फैसला माना जा रहा है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नया कानून ग्रामीण जनता की जरूरतों पर कितना खरा उतरता है और रोजगार व आजीविका के मोर्चे पर किस तरह के बदलाव लेकर आता है.

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