भारत पर ट्रंप का 25% टैरिफ आज से लागू; इन सेक्टर को होगा सबसे ज्यादा नुकसान, जानें नई लागत और असर

    भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में अचानक तनाव की बड़ी लहर उठी है. अमेरिका ने भारत से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ लगभग तीन गुना बढ़ा दिया है.

    Trump 25% tariff on India comes into effect today
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    नई दिल्ली: भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में अचानक तनाव की बड़ी लहर उठी है. अमेरिका ने भारत से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ लगभग तीन गुना बढ़ा दिया है. पहले जहां औसतन 10% तक का शुल्क लगता था, वहीं अब 25% अतिरिक्त शुल्क आज से लागू हो गया है, और 27 अगस्त से यह टैरिफ 50% तक पहुंच सकता है.

    यह फैसला सीधे तौर पर भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों जैसे इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ज्वेलरी, टेक्सटाइल और ऑटो पार्ट्स को प्रभावित करेगा. कई कंपनियों के लिए यह एक बड़ा झटका है, खासकर ऐसे वक्त में जब वैश्विक मांग पहले से ही कमजोर बनी हुई है.

    1. इंजीनियरिंग गुड्स: लागत बढ़ी, ऑर्डर घटे

    भारत के सबसे बड़े निर्यात क्षेत्र इंजीनियरिंग गुड्स पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है. 2024 में भारत ने अमेरिका को 19.16 बिलियन डॉलर के प्रोडक्ट्स भेजे, जिनमें मशीनरी, स्टील, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स और औद्योगिक उपकरण शामिल हैं.

    टैरिफ में बदलाव:

    पहले: लगभग 5% से 15% तक का टैरिफ

    अब: सीधे बढ़कर 30%

    नतीजा: 100 डॉलर का प्रोडक्ट अब अमेरिका में 130 डॉलर का पड़ेगा

    यह मूल्यवृद्धि अमेरिकी खरीदारों को भारतीय सामान से दूर कर सकती है. GTRI के अजय श्रीवास्तव का कहना है कि इस क्षेत्र में 10-15% तक निर्यात घट सकता है, और इसका असर विशेष रूप से छोटे व मध्यम उद्यमों पर पड़ेगा, जो कुल एक्सपोर्ट का लगभग 40% योगदान देते हैं.

    भारत क्या कर सकता है?

    • यूरोप और ASEAN देशों में हिस्सेदारी बढ़ाने की रणनीति अपनाई जा सकती है.
    • PLI स्कीम का विस्तार करके कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है.

    2. इलेक्ट्रॉनिक्स: अभी राहत, आगे चुनौती

    भारत अमेरिका को हर साल करीब 14 बिलियन डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक सामान निर्यात करता है, जिसमें आईफोन जैसे हाई-एंड प्रोडक्ट्स शामिल हैं.

    वर्तमान स्थिति:

    • टैरिफ: फिलहाल इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट है
    • भविष्य: अगर सेक्शन 232 के तहत टैरिफ लागू हुआ, तो यह 25% तक जा सकता है

    सेक्शन 232 अमेरिका के व्यापार विस्तार कानून का वह प्रावधान है, जिसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर टैरिफ लगाया जा सकता है. अगर यह लागू होता है तो भारत से स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की मांग में 20-25% तक की गिरावट आ सकती है.

    प्रमुख चुनौतियां:

    • वियतनाम और मैक्सिको जैसे देशों से कड़ा मुकाबला
    • प्रोडक्शन बेस वहां शिफ्ट हो सकता है

    भारत की रणनीति:

    • अमेरिका से टैरिफ छूट बनाए रखने की बातचीत
    • घरेलू बाजार को मजबूत करना और नए ब्रांड्स को प्रमोट करना

    3. फार्मा: धमकी 250% तक टैरिफ की

    फार्मास्युटिकल सेक्टर को लेकर खतरे की घंटी बज चुकी है. अमेरिका भारत की जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा ग्राहक है, और वहां की लगभग 40% दवाएं भारत से जाती हैं.

    अब तक की स्थिति:

    • टैरिफ: शून्य
    • नया खतरा: ट्रंप प्रशासन ने 150% से 250% तक टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है

    अगर 25% का भी टैरिफ लगाया गया, तो 100 डॉलर की दवा अब अमेरिका में 125 डॉलर की हो जाएगी. इससे दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी और मांग प्रभावित होगी.

    प्रभावित कंपनियां:

    सन फार्मा, डॉ. रेड्डी, सिप्ला, ल्यूपिन जैसी दिग्गज कंपनियों की कमर झुक सकती है.

    संभावित समाधान:

    • ट्रेड डील के जरिए फार्मा को टैरिफ से मुक्त रखने की कोशिश
    • यूरोप और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाजारों में विस्तार

    4. रत्न और आभूषण: बड़ा एक्सपोर्ट, बड़ी चिंता

    2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 10 बिलियन डॉलर के रत्न और आभूषण भेजे. भारत अमेरिकी हीरा बाजार का 44.5% सप्लाई करता है.

    टैरिफ प्रभाव:

    • पहले: ज्वैलरी पर 16%, डायमंड पर 10%
    • अब: ज्वैलरी पर 31%, डायमंड पर 25%

    नतीजा:

    100 डॉलर की ज्वैलरी अब 131 डॉलर में बिकेगी, जिससे 15-20% तक की गिरावट आ सकती है.

    चिंता का विषय:

    • लाखों कारीगरों की रोजी-रोटी पर संकट
    • अमेरिका सस्ते विकल्पों की तलाश में अन्य देशों की ओर रुख कर सकता है

    उद्योग की प्रतिक्रिया:

    GJEPC के सूरत प्रेसिडेंट जयंती सावलिया ने कहा, “हमारा 94% मार्केट अब भी बाकी है. अमेरिका में एक्सपोर्ट सिर्फ इसलिए बढ़ा था क्योंकि टैरिफ कम था. अब फोकस बाकी बाजारों पर होगा.”

    5. टेक्सटाइल: कपड़ों की कीमत बढ़ी, ऑर्डर घटे

    भारत अमेरिका को 10 बिलियन डॉलर के कपड़े, यार्न और रेडीमेड गार्मेंट्स एक्सपोर्ट करता है.

    टैरिफ प्रभाव:

    • पहले: 20%
    • अब: 35%
    • नतीजा: 100 डॉलर का कपड़ा अब 135 डॉलर का

    संभावित असर:

    • 20-25% तक की मांग में गिरावट
    • बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देशों से मुकाबला बढ़ेगा

    6. ऑटो सेक्टर: पार्ट्स पर फोकस, कारों पर असर कम

    जहां पूरी कारों का निर्यात बेहद कम है, वहीं ऑटो पार्ट्स के मामले में अमेरिका भारत का एक बड़ा ग्राहक है.

    फैक्ट्स:

    • भारत ने अमेरिका को 2.2 बिलियन डॉलर के ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट किए
    • यह कुल ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट का लगभग 29% है

    अमेरिका ने वैश्विक स्तर पर 89 बिलियन डॉलर के ऑटो पार्ट्स इम्पोर्ट किए, जिसमें भारत की हिस्सेदारी बेहद छोटी है

    नया टैरिफ: 25%

    • प्रभावित कंपनियां: टाटा मोटर्स, भारत फोर्ज, मदरसन सुमी
    • प्रतिस्पर्धा: मैक्सिको और वियतनाम जैसे देशों से

    भारत की रणनीति:

    • यूरोप और ASEAN बाजारों में पहुंच बढ़ाना
    • PLI स्कीम को आगे बढ़ाकर प्रतिस्पर्धा बढ़ाना

    क्या भारत के पास विकल्प हैं?

     यह संकट एक मौके की तरह भी देखा जा सकता है, जहां भारत को अमेरिका पर निर्भरता कम कर अन्य बाजारों की ओर देखना होगा. ASEAN, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों में भारत की पहुंच और मजबूत की जा सकती है.

    इसके अलावा, बिलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट्स पर काम तेज़ करना, डिप्लोमैटिक चैनलों के जरिए टैरिफ पर बातचीत करना और घरेलू इंडस्ट्री को लागत कम करने में सहयोग देना, ये सभी कदम भविष्य में बड़ी राहत ला सकते हैं.

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