दुनिया एक बार फिर हथियारों की होड़ में उतर आई है. खासकर जब हालात यूक्रेन, गाजा और मध्य पूर्व में विस्फोटक बने हुए हैं. इसी बीच अमेरिका ने अपने आधुनिकतम हथियार AIM-120 AMRAAM (एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल) को लेकर 19 देशों के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया है. ये समझौता 3.5 अरब डॉलर का है, जिसे अब तक का सबसे बड़ा AMRAAM निर्यात सौदा माना जा रहा है.
इस सौदे में इजराइल, ब्रिटेन और यूक्रेन जैसे अहम देश शामिल हैं, जो पहले से ही संघर्षों से जूझ रहे हैं या अपनी सैन्य क्षमता को अपग्रेड कर रहे हैं.
हर हालात में मार करने वाली मिसाइल
AIM-120 AMRAAM एक ऐसी मिसाइल है जिसे आंखों की सीमा से परे दुश्मन के लक्ष्यों को खत्म करने के लिए बनाया गया है. इसका इस्तेमाल अमेरिका के लगभग हर लड़ाकू विमान में किया जाता है — जैसे F-16, F-15, F-22 और F-35. इसके अलावा इसे NASAMS सिस्टम में जमीन से हवा में मार करने वाले हथियार के रूप में भी तैनात किया जाता है. NASAMS, जो अमेरिका की होमलैंड डिफेंस का एक प्रमुख हिस्सा है, दुनिया के कई देशों में भी तैनात किया गया है — जैसे यूक्रेन, नॉर्वे, जापान और ऑस्ट्रेलिया.
AMRAAM की एक खासियत यह है कि ये खराब मौसम में, दिन हो या रात, हर हाल में दुश्मन के विमान, ड्रोन या मिसाइल को निशाना बना सकती है. इसकी स्पीड 1,372 मीटर प्रति सेकंड तक जाती है, जो इसे वायवीय लड़ाइयों में बेहद खतरनाक बनाती है.
यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व संघर्ष ने बढ़ाई मांग
AIM-120 का हाल के वर्षों में व्यापक उपयोग हुआ है. अमेरिका ने इसका इस्तेमाल यमन के हूती विद्रोहियों, सीरिया और इराक में ड्रोन हमलों को नाकाम करने, और इजराइल को ईरान समर्थित हमलों से बचाने में किया है. यूक्रेन में भी इस मिसाइल को NASAMS के ज़रिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है, जिससे रूसी ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को गिराया गया. अमेरिका ने हाल ही में मिस्र को भी यह मिसाइल बेचने की मंजूरी दी है — जो एक नया कदम है, क्योंकि अब तक मिस्र के पास AIM-7 स्पैरो और AIM-9 साइडवाइंडर जैसे सीमित रेंज वाले मिसाइल सिस्टम ही थे.
मिसाइलों की कमी से बढ़ा प्रोडक्शन दबाव
AIM-120 का उत्पादन अब प्राथमिकता बन गया है. अमेरिका अब तक हजारों मिसाइलें बना चुका है और लगभग 5,000 का परीक्षण किया जा चुका है, लेकिन यूक्रेन और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में निरंतर उपयोग से इसका स्टॉक घटता जा रहा है. इसी वजह से अब नए सौदों के साथ-साथ उत्पादन दर को भी दोगुना करने की योजना बनाई गई है.
Raytheon और अमेरिकी रक्षा विभाग अब मिलकर इस मिसाइल के उत्पादन को तेज़ करने में लगे हैं. इस सौदे के बाद न केवल अमेरिका अपने सहयोगियों की सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है, बल्कि अपने रणनीतिक प्रभुत्व को भी और मज़बूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है.
निष्कर्ष: रक्षा उद्योग में एक नई दौड़
यह डील न सिर्फ तकनीकी श्रेष्ठता का प्रदर्शन है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दुनिया किस तरह फिर से हथियारों की होड़ में फंसती जा रही है. आने वाले वक्त में अमेरिका के इस मिसाइल सौदे का प्रभाव केवल युद्ध क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सैन्य रणनीतियों पर भी गहरा पड़ेगा.