अमेरिका से होनी है बात, पुतिन की इस तैयारी से फिर रोने लगेंगे ट्रंप! जानिए रूस का क्या है प्लान

    अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) द्वारा जारी एक डिक्लासिफाइड खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस गुपचुप तरीके से अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है.

    Talks with America Trump Putin Russia plan
    ट्रंप-पुतिन | Photo: ANI

    मॉस्कोः जहां एक ओर अमेरिका और रूस यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए उच्च स्तर की वार्ता में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर रूस की परमाणु गतिविधियों को लेकर अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की नई रिपोर्ट ने वैश्विक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    इस वक्त अमेरिका की ओर से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस की ओर से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस वार्ता को आगे बढ़ा रहे हैं. लेकिन इसी बीच अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) द्वारा जारी एक डिक्लासिफाइड खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस गुपचुप तरीके से अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है.

    क्या शीत युद्ध की वापसी हो रही है?

    DIA की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने एक नई हवा से हवा में मार करने वाली परमाणु मिसाइल को तैनात किया है — जो दशकों बाद इस प्रकार की पहली गतिविधि मानी जा रही है. अमेरिका और रूस दोनों ने शीत युद्ध के बाद इस तरह की मिसाइलों को डिएक्टिवेट कर दिया था. लेकिन अब रूस द्वारा यह कदम उठाया जाना चिंता का विषय है. हालांकि, रिपोर्ट में इस मिसाइल का नाम नहीं बताया गया है, परंतु विशेषज्ञों का मानना है कि यह R-37M मिसाइल का परमाणु संस्करण हो सकता है, जिसे NATO 'AA-13 Axehead' के नाम से जानता है.

    पड़ोसी देश बन रहा ‘स्ट्रैटेजिक बेस’?

    रिपोर्ट यह भी बताती है कि रूस बेलारूसी सैनिकों को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दे रहा है. 2023 में ही रूस ने बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करना शुरू कर दिया था, जिसे पश्चिमी जगत रूस का 'सैटेलाइट स्टेट' मानता है. इस कदम को केवल सैन्य रणनीति के तौर पर नहीं, बल्कि यूक्रेन युद्ध में मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए भी देखा जा रहा है. बेलारूस की भौगोलिक स्थिति यूरोप के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकती है.

    इतिहास खुद को दोहराएगा?

    1950 के दशक में अमेरिका के पास भी ऐसी ही एक मिसाइल थी — GAR-11, जिसे 1970 के दशक में हटा दिया गया था. उस समय ऐसी मिसाइलों को मुख्य रूप से बमवर्षक विमानों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया था. अब जब दुनिया के ज्यादातर देशों ने ऐसे विमानों को हटा दिया है, तो सवाल उठता है कि रूस आखिर किस उद्देश्य से यह खतरनाक कदम उठा रहा है?

    क्या यह सब ट्रंप-पुतिन वार्ता को कमजोर करने की रणनीति है?

    जब अमेरिका और रूस के बीच शांति की उम्मीदों की डोर बंध रही है, उसी समय रूस की यह नई सैन्य गतिविधि कहीं न कहीं उस डोर को कमजोर कर सकती है. खासकर तब जब डोनाल्ड ट्रंप खुद इन वार्ताओं में व्यक्तिगत रूप से शामिल हैं और खुद को इस डिप्लोमेसी का केंद्र मानते हैं. ऐसे में रूस की यह रणनीति ट्रंप की डिप्लोमैटिक छवि को भी चुनौती दे सकती है.

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