तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. जहां दुनिया संघर्ष को खत्म करने की उम्मीद कर रही थी, वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐसा बयान दे दिया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है. सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए पुतिन ने साफ तौर पर कहा – "पूरा यूक्रेन रूस का है" और "जहां रूसी सैनिक का कदम पड़े, वो ज़मीन रूसी हो जाती है."
इस बयान ने युद्धविराम की संभावनाओं को और कमजोर कर दिया है. पुतिन ने अपने दावे को “रूस और यूक्रेन की ऐतिहासिक एकता” पर आधारित बताया, जो उनके पुराने रुख का दोहराव है. उन्होंने 2021 में भी एक लेख के ज़रिए इसी विचारधारा को दुनिया के सामने रखा था. अब, डोनेस्क, लुहान्स्क, जापोरीझिया, खेरसॉन और क्रीमिया के बाद उनकी नजर पूरे यूक्रेन पर है.
कूटनीति से नहीं, गोलियों से हल चाहता है रूस: यूक्रेन
पुतिन के इस बयान के तुरंत बाद यूक्रेनी विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्री अंद्रेई सिबिहा ने इसे "निर्लज्ज और अमानवीय" करार देते हुए कहा कि जब पूरी दुनिया शांति की अपील कर रही है, रूस युद्ध को और गहरा करने की तैयारी में है.
उत्तर कोरिया का हस्तक्षेप: एक नया मोर्चा खुला
इस पूरे घटनाक्रम में उत्तर कोरिया की एंट्री ने हालात को और पेचीदा बना दिया है. जापान की NHK न्यूज एजेंसी के अनुसार, उत्तर कोरिया करीब 25,000 सैनिक और तकनीकी कर्मचारी रूस भेज रहा है. ये कर्मी तातारस्तान के अलाबुगा स्पेशल इकोनॉमिक जोन में तैनात किए जा रहे हैं, जहां वे ईरानी टेक्नोलॉजी पर आधारित 'शाहेद' ड्रोन का निर्माण करेंगे.
ये ड्रोन वही हैं जिनका इस्तेमाल रूस ने हाल ही में यूक्रेन पर एक ही रात में 104 यूनिट छोड़कर भारी तबाही मचाने में किया था. यूक्रेन ने इस ड्रोन फैक्ट्री को 15 जून को निशाना बनाकर करारा जवाब भी दिया था. उत्तर कोरियाई कर्मचारियों को न केवल ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, बल्कि रूस की हथियार फैक्ट्रियों में उत्पादन बढ़ाने के लिए भी लगाया जा रहा है. इस सहयोग से यह साफ हो गया है कि प्योंगयांग अब खुले तौर पर मॉस्को के युद्ध प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.
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