मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात ने अब अमेरिका को भी अपने सबसे खतरनाक हथियार मैदान में उतारने के लिए मजबूर कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने अपने बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स को हिंद महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया एयरबेस के लिए रवाना कर दिया है. यह कोई सामान्य तैनाती नहीं, बल्कि एक सटीक और रणनीतिक सैन्य कदम है, जो इशारा करता है कि ईरान के खिलाफ अमेरिका अब ‘फर्स्ट स्ट्राइक ऑप्शन’ की ओर बढ़ सकता है.
क्या है मिशन का मकसद?
इन बी-2 बॉम्बर्स के साथ अमेरिका ने 8 KC-135 टैंकर विमानों की तैनाती भी की है, जो हवा में ईंधन भरने का काम करेंगे. इन स्टील्थ बॉम्बर्स ने अमेरिका के मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयरफोर्स बेस से उड़ान भरी है और उनका गंतव्य है - डिएगो गार्सिया, एक ऐसा एयरबेस जो पहले भी अमेरिका के कई बड़े सैन्य अभियानों का केंद्र रहा है.
सूत्रों के अनुसार, बी-2 बॉम्बर्स की यह तैनाती सीधे तौर पर ईरान के फोर्डो यूरेनियम संवर्धन केंद्र से जुड़ी हो सकती है. यह वही परमाणु ठिकाना है जिसे "ईरान का परमाणु किला" कहा जाता है और जो लगभग 90 मीटर गहराई में, पहाड़ी चट्टानों के नीचे स्थित है.
सिर्फ B-2 ही कर सकता है फोर्डो को तबाह
फोर्डो जैसा किला पारंपरिक बमों से नष्ट नहीं किया जा सकता. इसके लिए अमेरिका के पास केवल एक विकल्प है — Massive Ordnance Penetrator (MOP) जैसे 30,000 पाउंड वजनी बम, जिसे बी-2 बॉम्बर्स ही ले जा सकते हैं. बी-2 की स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे रडार से अदृश्य बनाए रखती है, जिससे यह दुश्मन की निगरानी और वायु रक्षा प्रणाली को चकमा देकर गहराई में बने ठिकानों तक पहुंच सकता है.
ट्रंप ने दी है हरी झंडी?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही ईरान पर संभावित हमले की इजाजत दे दी थी. हालांकि अभी तक अंतिम आदेश लंबित है. लेकिन बी-2 की इस तैनाती को रणनीतिक दबाव और “रेड लाइन” के करीब पहुंचने का संकेत माना जा रहा है.
B-2: अमेरिका का सबसे घातक हवाई हथियार
बी-2 बॉम्बर को अमेरिका की ‘ग्लोबल स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ का सबसे घातक हिस्सा माना जाता है. इसमें आधुनिक नेविगेशन सिस्टम, कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क से सीधा संपर्क और स्टील्थ तकनीक है जो इसे दुनिया की सबसे जटिल हवाई सुरक्षा प्रणालियों के बीच से निकलकर टारगेट को नेस्तनाबूद करने की क्षमता देता है.
रेंज: बिना ईंधन भरे 9,600 किमी
डिएगो गार्सिया की भूमिका क्यों अहम है?
डिएगो गार्सिया न केवल अमेरिका का सामरिक एयरबेस है, बल्कि यह मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कई हिस्सों तक सीधी पहुंच देता है. यहां से उड़ान भरने वाले बी-2 विमानों को किसी अतिरिक्त अनुमति की ज़रूरत नहीं होती, जिससे अमेरिका तेजी से और बिना पूर्व चेतावनी के कार्रवाई कर सकता है.
यह एयरबेस 1990 के दशक से अमेरिका के अफगानिस्तान, इराक और लीबिया के अभियानों का आधार रहा है. अब एक बार फिर, यहां बी-2 की मौजूदगी बताती है कि ईरान के खिलाफ एक बड़ी सैन्य योजना सक्रिय हो चुकी है.
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