रूस का फिफ्थ जनरेशन स्टील्थ फाइटर Su-57E एक बार फिर सवालों के घेरे में है. रूस भले ही इसे दुनिया के सबसे एडवांस फाइटर जेट्स में से एक बताता रहा हो, लेकिन अब तक यह विमान न तो कोई बड़ा सौदा हासिल कर सका है और न ही इसे किसी विदेशी वायुसेना में सेवा मिल पाई है.
मलेशिया में आयोजित LIMA 2025 इंटरनेशनल एयरोस्पेस शो में रूस ने दावा किया था कि वह Su-57E को प्रदर्शित करेगा. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और निकली. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयर शो में असली विमान की जगह केवल एक स्केल मॉडल ही दिखाया गया. सोशल मीडिया पर भी इसके न पहुंचने की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो चुके हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्यों पिछड़ रहा है Su-57E?
Su-57E दरअसल रूस के Su-57 का एक्सपोर्ट वर्जन है, जिसे मल्टी-रोल कॉम्बैट, स्टील्थ टेक्नोलॉजी और लॉन्ग-रेंज मिसाइल अटैक जैसे एडवांस फीचर्स के साथ डिजाइन किया गया है. रूस इसे दुनिया भर में प्रमोट कर रहा है, खासकर भारत, मलेशिया और अल्जीरिया जैसे देशों में. फिर भी कोई ठोस डील अब तक सामने नहीं आई है.
भारत ने 2018 में ही Su-57 आधारित FGFA (Fifth Generation Fighter Aircraft) प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया था, और इसके पीछे मुख्य कारण थे–इस विमान की उच्च कीमत और तकनीकी प्रदर्शन में निराशा.
मलेशिया भी बना रूस की उम्मीदों पर पानी फेरने वाला
मलेशिया का MRCA प्रोग्राम पिछले एक दशक से ज्यादा समय से लंबित है. यह कार्यक्रम पुराने MiG-29 फ्लीट को रिप्लेस करने के उद्देश्य से शुरू हुआ था. शुरू में इसमें यूरोफाइटर टाइफून, राफेल और एफ-18 जैसे जेट्स पर विचार किया गया, लेकिन हाल के वर्षों में मलेशिया का फोकस पांचवीं पीढ़ी के फाइटर्स की ओर शिफ्ट हुआ है. इसके बावजूद, Su-57E को कोई खास तवज्जो नहीं मिली.
क्या अल्जीरिया बनेगा पहला ग्राहक?
रूस ने दावा किया था कि 2025 में Su-57E का पहला विदेशी ऑपरेटर सामने आएगा. यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह देश अल्जीरिया हो सकता है, लेकिन अब तक न रूस और न ही अल्जीरिया ने इस डील की पुष्टि की है. ऐसे में यह दावा भी अभी कागजों तक ही सीमित है.
भारत को फिर से मनाने की कोशिश
रूस ने फरवरी 2025 में आयोजित Aero India शो में भारत को फिर से Su-57E खरीदने के लिए एक खास ऑफर दिया था. इस ‘Golden Deal’ में भारत में विमान का निर्माण, तेजी से सप्लाई, और भारत के AMCA प्रोजेक्ट में तकनीकी सहयोग शामिल था. रूस ने यह भी कहा कि Su-30MKI बना रही भारतीय कंपनियां Su-57E का निर्माण तुरंत शुरू कर सकती हैं.
पाकिस्तान संघर्ष के बाद बढ़ी रूस की बेचैनी
पाकिस्तान के साथ भारत के सैन्य टकराव के बाद रूस ने एक बार फिर Su-57 को प्रमोट करना शुरू किया है. कुछ रूसी विश्लेषकों और ब्लॉगरों का कहना है कि भारत को अब राफेल नहीं बल्कि Su-57 जैसी अत्याधुनिक क्षमता वाले विमान की जरूरत है.
रूसी रक्षा विश्लेषक इगोर कोरोचेंको ने यहां तक कहा कि भारत को Su-57MKI का मेड-इन-इंडिया वर्जन अपनाना चाहिए, जिसमें R-37M जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें होंगी, लेकिन भारत की तरफ से अब तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला है.
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