रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा नज़दीक आते ही देशभर में उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है. वाराणसी में इस उत्साह की एक अनोखी तस्वीर सामने आई, जहां स्थानीय लोगों ने पुतिन के फ़ोटो की आरती उतारी और मित्रता मार्च निकालकर भारत–रूस संबंधों के सशक्त भविष्य की कामना की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों देशों के ऐतिहासिक और सामरिक रिश्तों की मजबूती को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाना था.
विशाल भारत संस्थान के चेयरमैन राजीव श्रीवास्तव के अनुसार, आज का समय वह दौर है जब भारत और रूस की साझेदारी वैश्विक शांति की दिशा तय कर सकती है. उनका मानना है कि भारत अब सिर्फ एक विकासशील राष्ट्र नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली शक्ति बन चुका है, जो हर रिश्ते में बराबरी की भूमिका निभाने में सक्षम है. इसीलिए पुतिन और मोदी दोनों की मौजूदगी वैश्विक राजनीति में स्थिरता, संवाद और संतुलन का संकेत देती है.
सांस्कृतिक और रणनीतिक जुड़ाव की विरासत
भारत और रूस के संबंध केवल राजनैतिक या आर्थिक स्तर तक सीमित नहीं रहे हैं. दशकों से दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, रक्षा सहयोग और कठिन समय में एक-दूसरे के समर्थन की मिसाल कायम की है. भारत पर किसी भी संकट की घड़ी आई हो—चाहे युद्ध का काल हो या वैश्विक विवाद—रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा दिखाई दिया है. यही भरोसा आज भी दोनों देशों की दोस्ती की सबसे बड़ी नींव माना जाता है.
#WATCH | Uttar Pradesh | People perform aarti and hold welcome march in Varanasi ahead of Russian President Vladimir Putin's visit to India (03.12) pic.twitter.com/Zibbpy423A
— ANI (@ANI) December 3, 2025
रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत की मध्यस्थ भूमिका
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, रूस–यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारत ने जिस तरह संवाद की नीति अपनाई, उसने दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा किया है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा रूस जाकर तनाव कम करने की कोशिशों ने भारत की वैश्विक भूमिका को और मज़बूती दी. राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसे संवेदनशील समय में पुतिन का भारत आना न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा देगा, बल्कि विश्व शांति के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है.
विश्व राजनीति में मोदी की बढ़ती स्वीकार्यता
राजीव श्रीवास्तव का यह भी मत है कि आज वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक पहुंच सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिनी जाती है. वे मानते हैं कि दुनिया के लगभग 200 देशों के लिए भारत की भूमिका अहम है और मोदी की नीतियों ने इस विश्वास को और मजबूत किया है. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई देशों ने अस्पष्ट रुख अपनाया, मगर रूस ने खुले तौर पर भारत का साथ दिया. यही कारण है कि वाराणसी में लोगों ने पुतिन के आगमन पर विशेष स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया.
आगामी यात्रा में बड़े समझौतों की तैयारी
रिपोर्टों के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति पुतिन अपने साथ सात मंत्रियों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आ रहे हैं. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और तकनीक से जुड़े लगभग 25 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जिनमें 15 बड़े व्यावसायिक करार शामिल होंगे. 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की द्विपक्षीय बैठक इन समझौतों को अंतिम रूप देगी.
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