R-37 मिसाइल, SU-30 फाइटर जेट, S-400 एयर डिफेंस सिस्टम... मोदी-पुतिन के बीच होगी बड़ी डिफेंस डील

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की तैयारी चल रही है.

    big defense deal between Modi Putin India Russia
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की तैयारी चल रही है. दोनों देश कई बड़े सैन्य सौदों पर बातचीत करेंगे, जिसमें सुखोई-30 विमानों के अपग्रेड, R-37 लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलें, और S-400 व S-500 एयर डिफेंस सिस्टम प्रमुख हैं. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह यात्रा दोनों देशों के बीच पुराने और भरोसेमंद रक्षा संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगी.

    सुखोई-30 का दूसरा ओवरहॉलिंग प्रोजेक्ट

    भारत और रूस सुखोई-30 एमकेआई विमानों के दूसरे ओवरहॉलिंग प्रोजेक्ट पर भी चर्चा करेंगे. इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय वायु सेना के 272 सुखोई-30 विमानों में से लगभग 100 विमानों को नवीनतम तकनीकी मानकों के अनुसार अपग्रेड करना है.

    यह ओवरहॉलिंग भारत में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किए जा रहे स्वदेशी अपग्रेड से अलग होगी. अपग्रेड के बाद विमानों की फायरपावर, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा.

    R-37 लंबी दूरी की मिसाइलें

    रक्षा सूत्रों के अनुसार, बैठक में 300 से अधिक R-37 एयर-टू-एयर मिसाइलों की खरीद पर विचार होगा. यह मिसाइलें 200 किलोमीटर से अधिक दूरी पर मौजूद लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं, जिससे भारतीय वायु सेना की बीवीआर (Beyond Visual Range) क्षमता में वृद्धि होगी.

    विशेषज्ञों का कहना है कि इन मिसाइलों से भारत को चीनी और अमेरिकी लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक के मुकाबले रणनीतिक बढ़त मिल सकती है.

    S-400 और S-500 एयर डिफेंस सिस्टम

    भारत और रूस S-400 और S-500 जैसी लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम पर भी चर्चा करेंगे. S-400 सिस्टम की 280 मिसाइलों की खरीद के प्रस्ताव पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
    सूत्रों के अनुसार, इन मिसाइलों का परीक्षण मई 2025 में सीमा पर दुश्मन के विमानों और ड्रोन के खिलाफ सफलतापूर्वक किया गया था. S-400 और S-500 के आने से भारत की हवाई सुरक्षा और सामरिक मजबूती में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी.

    ब्रहमोस और नया मिसाइल विकास

    दोनों देश ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के सफल सह-विकास को ध्यान में रखते हुए नई पीढ़ी की ब्रहमोस NG और लंबी दूरी की मिसाइलों पर भी बातचीत कर सकते हैं.

    ब्रहमोस NG मिसाइल को भारतीय वायु सेना के सभी प्रकार के लड़ाकू विमानों में फिट किया जा सकेगा और यह 400 किलोमीटर से अधिक दूरी के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम होगी. इसके अलावा लंबी दूरी वाले वर्जन पर भी चर्चा होने की संभावना है, जो वर्तमान क्षमता से तीन गुना ज्यादा दूरी तक मार करने में सक्षम होंगे.

    हाइपरसोनिक मिसाइल और रणनीतिक सहयोग

    रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और रूस हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक और लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी विचार कर रहे हैं. यह कदम दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा और भारतीय सशस्त्र बलों की आधुनिक युद्धक क्षमता को बढ़ाएगा.

    नौसेना और अन्य सेवाओं में मिसाइलें

    भारत ने अपनी नौसेना, वायु सेना और थल सेना को ब्रहमोस मिसाइलों से लैस करने में भी काफी प्रगति की है. इन मिसाइलों की सुपरसोनिक गति दुश्मन के लिए रोकना मुश्किल बनाती है.

    भारत ने फिलीपींस को ब्रहमोस मिसाइल का निर्यात भी सफलतापूर्वक किया है, जिससे एशियाई क्षेत्र में और अधिक निर्यात की संभावनाएं बन रही हैं.

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