‘अजेय’ करेगा पाक सबमरीन का शिकार, समंदर में भी बेदम होगा पाकिस्तान; जानिए स्वदेशी ASW शैलो वाटर क्राफ्ट की ताकत

    भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए लगातार आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, और इस दिशा में भारतीय नौसेना ने एक बड़ा कदम उठाया है.

    Pakistani submarines indigenous ASW shallow water craft
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    नई दिल्लीः भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए लगातार आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, और इस दिशा में भारतीय नौसेना ने एक बड़ा कदम उठाया है. हाल ही में, भारतीय नौसेना ने अपने स्वदेशी एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW Shallow Water Craft) को और मजबूती दी है, जो विशेष रूप से दुश्मन की सबमरीन को ट्रैक और नष्ट करने के लिए तैयार किया गया है. यह शैलो वॉटर क्राफ्ट भारतीय नौसेना के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है, खासकर जब हम यह जानते हैं कि समुद्र की गहरी सतहों पर छिपी हुई दुश्मन की सबमिनें सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती पेश करती हैं.

    21 जुलाई को कोलकाता स्थित GRSE शिपयार्ड में भारतीय नौसेना के लिए एक और एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट लॉन्च किया जाएगा, जिसे "अजेय" नाम दिया गया है. यह क्राफ्ट इस परियोजना का आखिरी जहाज होगा, और भारतीय नौसेना को कुल 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट मिलेंगे, जिनमें से 8 का निर्माण GRSE और 8 का कोचिन शिपयार्ड में हो रहा है. इस मौके पर भारतीय नौसेना के चीफ ऑफ मटेरियल, वाइस एडमिरल किरन देशमुख भी मौजूद रहेंगे. इससे पहले 18 जून को, विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में "अर्णाला" नामक शैलो वॉटर क्राफ्ट को शामिल किया गया था.

    दुश्मन को मिलेगा झटका

    इस नए शैलो वॉटर क्राफ्ट की खासियत यह है कि यह तट से 100 से 150 नॉटिकल मील की दूरी पर दुश्मन की सबमरीन का पता लगा सकता है और उसे नष्ट करने में सक्षम है. इसकी गति और प्रदर्शन इसे बेहद खतरनाक बना देती है, क्योंकि यह 30-40 मीटर की गहराई में भी ऑपरेट कर सकता है. इस शैलो वॉटर क्राफ्ट का प्रमुख उद्देश्य भारतीय जंगी जहाजों को सुरक्षा प्रदान करना है, ताकि यदि दुश्मन किसी तरह से समुद्र में छिपी हुई अपनी सबमरीन से हमला करने की कोशिश करें, तो इसे तुरंत पकड़कर नष्ट किया जा सके.

    यह वॉरशिप न केवल सबमरीन का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, बल्कि इसमें उन्नत तकनीकी उपकरण भी लगे हैं. इसमें एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, लाइट वेट टॉरपीडो, 30 mm नेवल गन, ASW कॉम्बेट सूट, हल माउंटेड सोनार और लो फ्रीक्वेंसी वेरियेबल डेप्थ सोनार शामिल हैं. यह वॉरशिप 25 नॉटिकल मील प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकता है और एक बार में 3300 किलोमीटर तक दूरी तय कर सकता है.

    स्वदेशी निर्माण में एक और कदम

    भारत अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हुए अपनी नौसेना को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों से लैस करने की दिशा में काम कर रहा है. ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट का निर्माण 1490 टन वजन और 77 मीटर लंबाई के साथ किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत, 2013 में रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए कुल 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट खरीदने की मंजूरी दी थी, और 2019 में इनका निर्माण शुरू हुआ. इन जहाजों का निर्माण GRSE और कोचिन शिपयार्ड में किया जा रहा है, और इनकी कुल लागत लगभग 13,500 करोड़ रुपये है.

    साल 2014 में बाय एंड मेक इंडिया के तहत टेंडर जारी किया गया था और 2019 में इन प्रोजेक्ट्स पर आधिकारिक रूप से दस्तखत किए गए. नए ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट भारतीय नौसेना में पुराने "अभय" क्लास कोर्वेट को रिप्लेस करेंगे, जो अब तक कई महत्वपूर्ण समुद्री मिशनों का हिस्सा रहे हैं. अब तक 11 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट लॉन्च हो चुके हैं और 3 का निर्माण जारी है. 2026 तक सभी क्राफ्ट भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे.

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