जिस ज़मीन को पाकिस्तान ने वर्षों से आतंक की नर्सरी बनाकर रखा, अब वहीं की आग उसके अपने ही घर तक पहुंचने लगी है. मंगलवार को दक्षिणी वजीरिस्तान के दो अहम इलाकों—सरगोधा और कुर्रम—में पाकिस्तान को एक बड़ा झटका तब लगा, जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने पाकिस्तानी सेना पर घात लगाकर हमला किया. इस हमले में पाकिस्तान के 14 सैनिक मारे गए, जिनमें एक नाम ऐसा भी था जो भारत के लिए खासा जाना-पहचाना है—मेजर सैयद मोइज अब्बास शाह.
मेजर मोइज वही सैन्य अधिकारी था जिसने 2019 में भारत-पाक युद्ध तनाव के दौरान भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्थमान को पकड़ने का दावा किया था. अब उसी मोइज को उन्हीं आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया जिन्हें कभी पाकिस्तान ने अपनी ‘रणनीति’ का हिस्सा बनाया था.
हमले की पूरी कहानी
दक्षिणी वजीरिस्तान का सरगोधा और कुर्रम इलाका बीते कई वर्षों से आतंकी गतिविधियों का गढ़ रहा है. मंगलवार को यहां चल रहे तलाशी अभियान के दौरान TTP के आतंकियों ने पाक सेना की टुकड़ी पर अचानक हमला बोल दिया. पूरी तरह से घात लगाकर किए गए इस हमले में पाकिस्तानी सैनिकों को संभलने तक का मौका नहीं मिला.
स्थानीय सोशल मीडिया और पत्रकारों के अनुसार, सरगोधा में हुई मुठभेड़ में मेजर सैयद मोइज अब्बास समेत 6 फौजी मारे गए, जबकि बाकी 8 की मौत कुर्रम इलाके में हुई. हालांकि पाकिस्तानी सेना ने अब तक मेजर मोइज की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन सैन्य स्रोतों और कई स्थानीय रिपोर्ट्स में उनका नाम मृतकों में शामिल है.
कौन था मेजर सैयद मोइज अब्बास शाह?
मेजर मोइज का नाम 2019 में चर्चा में आया था, जब भारत और पाकिस्तान के बीच वायु संघर्ष के दौरान MIG-21 क्रैश होने पर ग्रुप कैप्टन अभिनंदन पाकिस्तान में उतरे थे. उसी दौरान मेजर मोइज और उसकी यूनिट ने अभिनंदन को पकड़ने का दावा किया था और पाक मीडिया में उसका चेहरा खूब दिखाया गया था.
अब अपने बोए आतंक से ही घिरा पाकिस्तान
पाकिस्तान ने वर्षों तक जिन आतंकी संगठनों को ‘रणनीतिक संपत्ति’ मानकर इस्तेमाल किया, आज वही उसके लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान अब खुलेआम सेना को निशाना बना रही है. सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान अब भी इन संगठनों के प्रति दोहरी नीति अपनाएगा या अपने भीतर झाँककर इस खतरनाक खेल का अंत करने की कोशिश करेगा?
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