इस्लामाबाद और वॉशिंगटन के बीच एक नए व्यापारिक समझौते की घोषणा के बाद बलूचिस्तान में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. बुधवार, 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ एक रणनीतिक समझौते की जानकारी साझा की, जिसमें पाकिस्तान के कथित तेल भंडारों के दोहन की योजना शामिल थी. लेकिन इस घोषणा ने बलूच राष्ट्रवादियों को आक्रोशित कर दिया है.
बलूच नेता मीर यार बलूच ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि उसे पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व द्वारा "भारी गुमराह" किया जा रहा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर खुलकर आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति को इस क्षेत्र की वास्तविक भौगोलिक सच्चाई और संपत्ति की स्थिति के बारे में गलत जानकारी दी गई है, और इसके पीछे मुख्य भूमिका पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की है.
तेल भंडार पाकिस्तान नहीं, बलूचिस्तान की संपत्ति हैं
मीर यार बलूच ने स्पष्ट किया कि जिस ऊर्जा संपदा तेल, प्राकृतिक गैस, तांबा, यूरेनियम और दुर्लभ खनिज—का उल्लेख ट्रंप ने किया है, वह पंजाब या पाकिस्तान के किसी और हिस्से में नहीं बल्कि बलूचिस्तान में स्थित है. उनका दावा है कि बलूचिस्तान एक ऐतिहासिक संप्रभु राष्ट्र है, जिसे पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. बलूच नेता के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से यह कहना कि ये संसाधन उसके हैं, न केवल गलत है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बलूचिस्तान की संपदा को हथियाने और उसे विदेशी निवेश के जरिए दोहन का प्रयास है.
ISI और जिहादी नेटवर्क को लेकर दी गंभीर चेतावनी
अपने बयान में मीर यार बलूच ने अमेरिकी नेतृत्व को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका को लेकर भी आगाह किया. उन्होंने कहा कि ISI न सिर्फ अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देती रही है, बल्कि वह अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की मौत के पीछे भी जिम्मेदार रही है. ऐसे में बलूचिस्तान के बहुमूल्य खनिजों तक ISI को पहुंच देना एक भारी भूल होगी, जिसका असर वैश्विक सुरक्षा पर पड़ सकता है. उन्होंने आशंका जताई कि इन संसाधनों से मिलने वाला मुनाफा भारत और इजरायल विरोधी जिहादी संगठनों को फंड करने में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे आतंकी नेटवर्क को नई ऊर्जा मिलेगी और दुनिया फिर किसी बड़े हमले का गवाह बन सकती है.
बलूचिस्तान न बिकाऊ है, न झुकेगा
बलूच नेता ने अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दो टूक शब्दों में कहा कि बलूचिस्तान की संपत्ति पर कोई विदेशी शक्ति, चाहे वह पाकिस्तान हो, चीन या अमेरिका, तब तक दावा नहीं कर सकती जब तक बलूच जनसमुदाय की स्वीकृति न मिले. उन्होंने बलूच जनता के अधिकारों, संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष को "सम्मान और दृढ़ता" के साथ जारी रखने की बात दोहराई.
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