जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि पाकिस्तान में एक दिन इतना तेल निकलेगा कि भारत तक उसे खरीदने को मजबूर हो जाएगा, तो दुनियाभर में इस बयान ने हलचल मचा दी. कुछ लोगों ने इसे बड़ी आर्थिक साझेदारी की संभावना माना, तो कुछ ने इसे राजनीतिक बयानबाजी करार दिया. लेकिन अब खुद पाकिस्तान की सरकारी तेल एवं गैस कंपनी ने इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है. कंपनी ने साफ कह दिया है कि पाकिस्तान में कोई विशाल तेल भंडार मौजूद नहीं है और ट्रंप का यह दावा "पूरी तरह से बेतुका" है.
जुलाई में एक सार्वजनिक बयान में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर "अपने विशाल तेल भंडारों" का दोहन करेंगे. उन्होंने यह तक कह डाला कि भविष्य में शायद भारत भी पाकिस्तान से तेल खरीदने लगे. इस बयान ने न सिर्फ अमेरिका और पाकिस्तान में, बल्कि भारत में भी हलचल पैदा कर दी थी. सवाल उठने लगे- क्या सच में पाकिस्तान के पास ऐसा कोई 'तेल का खजाना' है जिसे अब तक दुनिया से छिपाकर रखा गया था?
पाकिस्तान में आम जनता और मीडिया इस बात को लेकर परेशान हो गई कि आखिर यह रहस्यमयी तेल कहां छिपा हुआ है? लेकिन अब इन अटकलों पर विराम लग गया है, क्योंकि पाकिस्तान की सरकारी तेल कंपनी ने ट्रंप की बातों को पूरी तरह से असत्य और गुमराह करने वाला बताया है.
"ऐसा कोई तेल क्षेत्र नहीं जो अरबों बैरल दे सके"
पाकिस्तान की सरकारी तेल एवं गैस कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फाइनेंशियल टाइम्स से बात करते हुए साफ कहा, "ऐसा कोई रहस्यमयी या अनदेखा तेल क्षेत्र पाकिस्तान में नहीं है जो 1 अरब बैरल तेल पैदा कर सके. यह बात पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है."एक अन्य अधिकारी ने ट्रंप के बयान को "गैर-जिम्मेदाराना" और "भ्रम फैलाने वाला" बताया.
इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप ने जो भविष्य की तस्वीर पेश की थी, वह हकीकत से बहुत दूर है.
ईआईए की पुरानी रिपोर्ट और ट्रंप की नई कहानी
डोनाल्ड ट्रंप के दावे का एकमात्र आधार 2015 में अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) की एक रिपोर्ट रही है, जिसमें पाकिस्तान के सिंधु बेसिन क्षेत्र में 9 अरब बैरल से अधिक शेल ऑयल की संभावना जताई गई थी. लेकिन इस रिपोर्ट को भी विशेषज्ञों ने सिर्फ एक अनुमान बताया है, न कि वास्तविक और पुष्ट आंकड़ा.
रिस्टैड एनर्जी नामक ऊर्जा कंसल्टेंसी फर्म के अनुसार, यह अनुमान केवल कुछ प्रारंभिक भूकंपीय आंकड़ों पर आधारित था, जो यह नहीं बताता कि ये संसाधन व्यावसायिक रूप से निकाले जा सकते हैं या नहीं. रिस्टैड के एशिया-प्रशांत प्रमुख प्रतीक पांडे के मुताबिक, "ये संभावनाएं अभी सालों दूर हैं और पाकिस्तान ने अब तक तेल व गैस खोज के क्षेत्र में कोई ठोस प्रगति नहीं की है."
इमरान खान का 'तेल सपना' और कड़वी सच्चाई
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी 2019 में एक बड़ी घोषणा की थी. उन्होंने दावा किया था कि अमेरिकी कंपनी एक्सॉन और इटली की एनी अरब सागर में ऐसा कुआं खोज रही हैं जिससे अगले 50 साल तक पाकिस्तान को तेल खरीदने की जरूरत ही नहीं होगी. लेकिन इस बयान के कुछ घंटों बाद ही दोनों कंपनियों ने यह कहते हुए प्रोजेक्ट बंद कर दिया कि उन्हें वहां सिर्फ पानी मिला, तेल नहीं.
इस घटना ने पाकिस्तान के तेल सपने की हकीकत उजागर कर दी. कंपनियों के लौट जाने के बाद यह साफ हो गया कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी अब पाकिस्तान को ऊर्जा के क्षेत्र में उम्मीद की नजरों से नहीं देख रहे.
क्या मुनीर ने ट्रंप को ‘तेल की मालिश’ कर दी?
अब सवाल यह उठता है कि ट्रंप ने आखिर इतना बड़ा दावा क्यों किया? क्या यह कोई राजनीतिक सौदेबाज़ी थी या उन्हें किसी ने ग़लत जानकारी दी? पाकिस्तान के आंतरिक हलकों में यह चर्चा तेज़ है कि सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अमेरिका से संभावित सहयोग की उम्मीद में ट्रंप को कुछ "तेल वाले ख्वाब" दिखा दिए.
हालांकि यह बात अभी अटकलों पर आधारित है, लेकिन इतना ज़रूर साफ हो गया है कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तेल को लेकर जो डील की बात कही जा रही थी, वह हकीकत से बहुत दूर है.
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