अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर एक बार फिर आर्थिक दबाव डालने की योजना बनाई है. इस बार अमेरिका का मुख्य निशाना भारत और चीन हैं, जो रूस से भारी मात्रा में ऊर्जा खरीदते हैं. अमेरिकी सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल और लिंडसे ग्राहम ने एक नया बिल पेश किया है, जो रूस से तेल या यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर 500% तक के टैक्स लगाने की बात करता है. अगर यह बिल पारित हो जाता है, तो इसका सीधा असर भारत और चीन जैसे देशों पर पड़ेगा, जो रूस से अपने ऊर्जा की लगभग 70% खपत पूरी करते हैं.
भारत और चीन पर प्रस्तावित टैक्स का असर
इस प्रस्ताव के अनुसार, भारत और चीन जैसे देशों को रूस से ऊर्जा खरीदने पर भारी टैक्स देना पड़ सकता है, क्योंकि ये दोनों देश मिलकर रूस से 70% ऊर्जा खरीदते हैं. अमेरिकी सांसदों का कहना है कि यह कदम रूस के राष्ट्रपति पुतिन के आर्थिक समर्थन को कमजोर करने के लिए उठाया गया है. ब्लूमेंथल का मानना है कि इस टैक्स से पुतिन के समर्थकों को यह सवाल करना पड़ेगा कि वे रूस के साथ रहना चाहते हैं या वैश्विक बाजार से जुड़े अन्य देशों के साथ.
भारत के लिए सस्ता और आकर्षक सौदा
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल खरीदने की मात्रा बढ़ा दी थी. जून 2025 तक भारत प्रतिदिन औसतन 16-18 लाख बैरल कच्चा तेल रूस से खरीद रहा था. पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते यह सौदा भारत के लिए काफी सस्ता और आकर्षक बन गया था, और इसी वजह से भारत रूस से तेल खरीद रहा है.
अमेरिका की नाराजगी और आर्थिक प्रतिबंध
अमेरिका का यह तर्क है कि रूस से तेल खरीदकर भारत और चीन सीधे तौर पर पुतिन को ताकत दे रहे हैं. इसके अलावा, अमेरिका यह चाहता है कि रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएं. हालांकि, यह बिल अभी प्रस्तावित है और इसमें एक प्रावधान है, जिसके तहत राष्ट्रपति सहयोगी देशों को 180 दिनों तक छूट दे सकते हैं, जिससे भारत को कुछ राहत मिल सकती है.
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