भारत ने रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में एक बड़ा नो-फ्लाई और नो-शिप जोन घोषित किया है. इस क्षेत्र में लगभग 2520 किलोमीटर तक के लिए यह नोटिस (NOTAM – Notice to Airmen/Air Mission) जारी किया गया है. इसका अर्थ है कि निर्धारित तिथि और समय पर इस क्षेत्र से न तो कोई नागरिक या वाणिज्यिक विमान उड़ान भरेगा और न ही कोई जहाज यात्रा करेगा.
इस कदम का उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसी भी दुर्घटना से बचना है. सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह नोटिस 17 दिसंबर से 20 दिसंबर 2025 तक लागू रहेगा, और रोजाना सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक कार्यान्वित होगा.
यह ऐलान ऐसे समय में आया है जब पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. बांग्लादेश में हाल ही में चुनाव आयोग के कार्यालय में आग लगी, जबकि पाकिस्तान में खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख को कोर्ट मार्शल किया गया.
DRDO के मिसाइल परीक्षण की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, इस नो-फ्लाई जोन का मुख्य कारण DRDO का मिसाइल परीक्षण है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह परीक्षण K-4 पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) के लिए होगा.
K-4 मिसाइल भारत की ठोस ईंधन (Solid Fuel) आधारित आधुनिक मिसाइल है, जो अग्नि-III तकनीक पर आधारित है. यह पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइलों के परमाणु त्रिकोण (थल-जल-वायु) को मजबूत करने के लिए विकसित की गई है.
K-4 मिसाइल की खासियतें इस प्रकार हैं:
K-4 मिसाइल का महत्व
INS अरिहंत (2016) और INS अरिघात (2024) जैसी पनडुब्बियों में प्रत्येक में 4 K-4 मिसाइलें तैनात हैं. भविष्य में S4 श्रेणी की पनडुब्बियों में यह संख्या 8 तक बढ़ाई जाएगी.
K-4 मिसाइल की क्षमता K-15 सागरिका की 750 किमी रेंज से कई गुना अधिक है. इससे भारत के सामरिक और परमाणु संतुलन को मजबूती मिलती है.
आगामी परीक्षण के बाद DRDO संभवतः K-4 मिसाइल के यूजर ट्रायल और ऑपरेशनल क्षमता की पुष्टि करेगा. इसके बाद K-5 और K-6 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिनकी मारक क्षमता क्रमशः 5000 और 8000 किमी होगी.
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