न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम, 1,000 डिग्री सेल्सियस का गोला... चीन के इस विस्फोटक से ट्रंप भी डरेंगे?

    चीन से वैज्ञानिक और सैन्य जगत में हलचल मचाने वाली खबर आई है, जहां शोधकर्ताओं ने एक हाइड्रोजन आधारित विस्फोटक तैयार करने का दावा किया है.

    Nuclear hydrogen bomb China test
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    चीन से वैज्ञानिक और सैन्य जगत में हलचल मचाने वाली खबर आई है, जहां शोधकर्ताओं ने एक ऐसा हाइड्रोजन आधारित विस्फोटक तैयार करने का दावा किया है, जिसमें किसी भी तरह की परमाणु सामग्री का इस्तेमाल नहीं हुआ है. यह नॉन-न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम हाल ही में सफलतापूर्वक टेस्ट भी किया गया है, और इसके नतीजे वाकई चौंकाने वाले हैं.

    क्या है यह नया हथियार?

    यह नया विस्फोटक उपकरण चीन स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन (CSSC) के 705 रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया गया है, जो पानी के भीतर इस्तेमाल होने वाले हथियारों के निर्माण के लिए जाना जाता है. वैज्ञानिकों ने इस बम को मैग्नीशियम हाइड्राइड नामक एक खास पदार्थ से बनाया है, जो चांदी जैसा दिखने वाला पाउडर है. यह पदार्थ सामान्य दबाव वाले टैंकों की तुलना में कहीं ज्यादा मात्रा में हाइड्रोजन जमा कर सकता है.

    धमाके की ताकत और खासियत

    साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षण के दौरान सिर्फ 2 किलोग्राम वजनी इस बम ने 1000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी वाला आग का गोला बनाया, जो दो सेकंड से ज्यादा समय तक कायम रहा. यह साधारण TNT विस्फोट के मुकाबले कहीं ज्यादा लंबे समय तक और ज्यादा गर्म रहता है – उदाहरण के लिए, TNT का ब्लास्ट 0.12 सेकंड में खत्म हो जाता है, जबकि इस हाइड्रोजन बम का प्रभाव दो सेकंड तक रहा.

    कैसे करता है काम?

    CSSC के वैज्ञानिक वांग जुएफेंग और उनकी टीम ने बताया कि जब मैग्नीशियम हाइड्राइड को पारंपरिक विस्फोटक से सक्रिय किया जाता है, तो यह टूट जाता है और उससे हाइड्रोजन गैस निकलती है. यह गैस बेहद तेजी से जलती है और दूर तक फैलती है. इसका असर क्षेत्रीय होता है, यानी बड़े इलाके में एक साथ तबाही मचाने की क्षमता रखता है.

    क्यों है यह बम खास?

    यह गैर-परमाणु तकनीक पर आधारित है, जिससे इसे बनाना और स्टोर करना आसान हो सकता है. इससे बना आग का गोला इतना गर्म होता है कि एल्यूमीनियम जैसी धातु को भी आसानी से पिघला सकता है. इस तकनीक की मदद से विस्फोट की तीव्रता को नियंत्रित किया जा सकता है, जो इसे युद्ध रणनीतियों के लिए बेहद प्रभावी बना सकता है.

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