पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही पाकिस्तान के भीतर की सुरक्षा चुनौतियां भी और गहराती जा रही हैं. शुक्रवार को पाकिस्तान को उस वक्त एक और झटका लगा, जब बलोचिस्तान की राजधानी क्वेटा में एक भीषण बम धमाके ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी. इस विस्फोट में पाकिस्तानी फ्रंटियर कोर (FC) के चार जवानों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.
बम निरोधक दस्ते पर हमला
यह धमाका क्वेटा के मार्गेट इलाके में हुआ, जब फ्रंटियर कोर का बम निरोधक दस्ता एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) को निष्क्रिय करने की कोशिश कर रहा था. उसी दौरान IED में धमाका हो गया, जिसकी चपेट में आकर सूबेदार शहजाद अमीन, नायब सूबेदार अब्बास, सिपाही खलील और सिपाही जाहिद की मौके पर ही मौत हो गई. इसके अलावा लांस नायक जफर, फारूक और सिपाही खुर्रम सलीम गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया.
पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल
घटना के बाद पूरे इलाके को पाकिस्तानी सेना ने घेर लिया और सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया. हालांकि अब तक किसी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) पर शक गहराता जा रहा है. बलोचिस्तान में पिछले कुछ महीनों से BLA की ओर से ऐसे हमलों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं.
पहले भी हो चुके हैं हमले
बलोचिस्तान में यह पहला मौका नहीं है जब सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया हो. 15 अप्रैल को मस्तुंग में पुलिसकर्मियों को ले जा रही बस पर हमला हुआ था, जिसमें तीन जवानों की जान गई थी. उस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली थी.
ISI और पाकिस्तानी सेना के लिए बढ़ी मुश्किलें
ऐसे हमलों ने पाकिस्तान की आतंरिक सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सेना प्रमुख असीम मुनीर के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि एक ओर भारत से सख्त प्रतिक्रिया की आशंका है, तो दूसरी ओर देश के भीतर अशांति चरम पर है. बलोचिस्तान में लगातार हो रहे आतंकी हमले पाकिस्तान की कमजोर आंतरिक सुरक्षा और सीमित नियंत्रण को उजागर करते हैं.
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