पाकिस्तान से 'दोस्ती' का नतीजा, सेना के बगावत पर दहाड़ मारकर रोने लगे यूनुस; कहा- इस्तीफा दे दूंगा

    Muhammad yunus resignation: बांग्लादेश में हालात दिनोंदिन अस्थिर होते जा रहे हैं और देश के मुख्य सलाहकार प्रो. मोहम्मद यूनुस इन चुनौतियों से निपटने के लिए संघर्षरत दिख रहे हैं.

    Muhammad yunus resignation After threat millitary
    Image Source: ANI

    Muhammad yunus resignation: बांग्लादेश में हालात दिनोंदिन अस्थिर होते जा रहे हैं और देश के मुख्य सलाहकार प्रो. मोहम्मद यूनुस इन चुनौतियों से निपटने के लिए संघर्षरत दिख रहे हैं. बढ़ती हिंसा, चोरी-डकैती और अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं पर कार्रवाई न हो पाने के चलते उन्हें इस्तीफा देने का ख्याल सता रहा है.

    चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां

    वर्तमान में राजनीतिक दलों के बीच कोई ठोस सहमति नहीं बन पा रही, जिस कारण सुरक्षा मामलों में एकरूपता न होने से कानून-व्यवस्था की ज़िम्मेदारी निभाना मुश्किल हो गया है. नाहिद इस्लाम, नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के संयोजक, ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि यूनुस “स्थिति की जटिलता” को देखते हुए इस्तीफा देने का मन बना रहे हैं. वे मानते हैं कि जब तक राजनीतिक सरगर्मियों में सामंजस्य नहीं आएगा, देश के हित में कोई ठोस कदम उठाना संभव नहीं.

    NCP का दृष्टिकोण

    इस साल फरवरी में NCP के गठन में यूनुस की भूमिका अहम रही थी. छात्र-नेतृत्व वाली इस पार्टी ने युवा मतदाताओं में खासा प्रभाव डाला. नाहिद इस्लाम ने कहा कि उन्होंने यूनुस को “देश की स्थिरता और आम जनता की आशाओं” को प्राथमिकता देने की सलाह दी है. लेकिन राजनीतिक दलों की द्विश्रृंखला (यूनुस vs. पार्टियाँ) के बीच संतुलन बनाए रखना आसान नहीं दिखता.

    चुनावी दबाव और आयोग पर आरोप

    दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग जोर पकड़ रही है, जबकि विपक्षी BNP पर वर्तमान चुनाव आयोग से मिलीभगत का आरोप लग रहा है. NCP ने आयोग को “BNP का कार्यकारी कार्यालय” बता कर किसी भी आगामी चुनाव में भाग लेने से इनकार कर दिया है. साथ ही, BNP ने एक सीमित सलाहकार परिषद पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समेत अन्य की भूमिका पर पुनर्विचार की मांग की गई है.

    आगे का रास्ता

    नाहिद इस्लाम का मानना है कि यूनुस को “अगस्त की क्रांति” के आदर्शों को नहीं भूलना चाहिए और जनता का भरोसा बनाए रखना चाहिए. दूसरी ओर, अगर राजनीतिक दल एक साथ न आएं तो यूनुस के लिए भी स्थिति संभालना असंभव होगा. अब देखना यह है कि क्या प्रो. यूनुस देश की बिगड़ती परिस्थिति के बीच बने रहकर इसे सुधार पाएंगे, या फिर क़दम पीछे खींचकर इस्तीफा देकर राजनीतिक गतिरोध को और तेज़ कर देंगे.

    यह भी पढ़ें: पानी रोका तो हम तुम्हारी सांसें बंद कर देंगे... पाकिस्तानी सेना की गीदड़ भभकी; भारत के खिलाफ उगला जहर