मिडिल ईस्ट में पॉलिटिकल ड्रामा, खामेनेई से यूरेनियम मांग रहे पुतिन, क्या ट्रंप से 'दुश्मनी' सिर्फ एक दिखावा?

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ईरान को एक नया, लेकिन पुराना प्रस्ताव फिर से दिया: अपना संवर्धित यूरेनियम रूस को सौंप दो.

    Middle East Putin asking for uranium from Khamenei Trump
    पुतिन | Photo: X

    मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच छिड़ा युद्ध अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां लड़ाई सिर्फ बम और मिसाइलों तक सीमित नहीं रह गई—अब बात परमाणु हथियारों तक आ गई है. इस बीच, एक चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ईरान को एक नया, लेकिन पुराना प्रस्ताव फिर से दिया: अपना संवर्धित यूरेनियम रूस को सौंप दो.

    पुतिन की पहल: शांति या रणनीति?

    रूस की इस पेशकश को पुतिन ने पहले भी रखा था, लेकिन अब जबकि जंग तेज हो चुकी है और वैश्विक शक्ति-संतुलन हिलता नजर आ रहा है, उन्होंने इस प्रस्ताव को फिर से दोहराया है. क्रेमलिन का कहना है कि "प्रस्ताव अब भी मेज़ पर है", और रूस इस मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार है.

    हालांकि, यूरोपीय यूनियन ने रूस की इस भूमिका को खारिज करते हुए साफ कहा है कि "पुतिन की विश्वसनीयता शून्य है." अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस विवाद में पुतिन को मध्यस्थ बनाने का सुझाव दे चुके हैं, लेकिन इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारी संदेह बना हुआ है.

    परमाणु ठिकानों पर इज़राइली हमले, ईरान की जवाबी चेतावनी

    बीते कुछ दिनों में इज़राइल ने तेहरान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं. इज़राइल की मंशा साफ है—वह ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना चाहता है. इज़राइल का मानना है कि अगर ईरान एटमी ताकत बन गया, तो उसका अपना अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.

    इसके जवाब में ईरान ने मिसाइल हमलों से इज़राइल को करारा जवाब दिया. तनाव इस कदर बढ़ चुका है कि तेहरान ने अब परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकलने की धमकी दे दी है.

    ईरान बोले: अब IAEA को जानकारी नहीं देंगे

    ईरान ने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी IAEA को यह कहकर चौंका दिया कि वह अब अपने परमाणु कार्यक्रम की कोई नई जानकारी साझा नहीं करेगा. ईरानी अधिकारियों का कहना है कि जब उनके न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला हो रहा है और IAEA मूक दर्शक बनी हुई है, तो अब सहयोग का कोई औचित्य नहीं बचता.

    SIPRI की चेतावनी: दुनिया फिर से एटमी दौड़ में

    • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया में अब फिर से एक हथियारों की दौड़ शुरू हो चुकी है.
    • रूस और अमेरिका के पास मिलाकर दुनिया के 90% से ज़्यादा परमाणु हथियार हैं.
    • चीन भी तेजी से अपनी एटमी ताकत बढ़ा रहा है.
    • शीत युद्ध के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि परमाणु हथियारों की संख्या घट नहीं रही, बढ़ रही है.

    अमेरिका की चिंता: टारगेट सिर्फ ईरान हो, क्षेत्र नहीं

    व्हाइट हाउस फिलहाल इस पूरे टकराव को खाड़ी क्षेत्र में फैलने से रोकना चाहता है. अमेरिकी प्रशासन की कोशिश है कि इज़राइल का जवाब सिर्फ ईरान की परमाणु क्षमताओं को सीमित करने तक ही सीमित रहे, न कि एक व्यापक युद्ध में बदल जाए. हालांकि, USS निमित्ज जैसे युद्धपोत की तैनाती यह बताती है कि अमेरिका अब इस स्थिति को लेकर पूरी तरह से सतर्क है.

    क्या पुतिन का प्रस्ताव एक ‘पावर मूव’ है?

    रूस द्वारा ईरान को यूरेनियम सौंपने का प्रस्ताव पहली नज़र में एक शांति की पहल लग सकता है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पुतिन की एक रणनीतिक चाल है. इससे वह खुद को एक "निर्णायक वैश्विक शक्ति" के रूप में स्थापित करना चाहते हैं — विशेषकर ऐसे वक्त में जब पश्चिमी देश आपस में बंटे हुए हैं.

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