डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी राजनीति में वापसी ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा एक बार फिर बदल दी है. अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने जिस तरह ईरान परमाणु समझौते को खत्म किया, उसने दोनों देशों के रिश्तों में खटास ला दी थी. अब एक बार फिर अमेरिका और ईरान के बीच संवाद की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन इस बार ईरान सतर्क है और खुद को नए समीकरणों में ढालने की कोशिश कर रहा है.
इस पूरी रणनीति के केंद्र में हैं ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई — जिनकी राजनीतिक ताकत ईरान के राष्ट्रपति से भी ऊपर मानी जाती है. खामेनेई ने हाल ही में एक ट्वीट के ज़रिए संकेत दिया है कि अब समय आ गया है जब ईरान को भारत, चीन और रूस के साथ कारोबारी रिश्ते मज़बूत करने चाहिए. यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने ईरान पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं, और भारत को पहले दी गई तेल आयात में छूट 2019 में समाप्त हो चुकी है.
भारत-ईरान के ऊर्जा संबंधों पर ब्रेक
भारत कभी ईरान से अपनी तेल ज़रूरतों का 10% हिस्सा मंगवाता था. अप्रैल 2019 तक भारत रोज़ाना 2.77 लाख बैरल तेल ईरान से खरीदता था, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते यह आंकड़ा तेजी से गिरा और अब लगभग शून्य पर है. 2023-24 के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत ने कुल 23.25 करोड़ टन कच्चा तेल आयात किया, जिसमें ईरान का कोई योगदान नहीं था. अब भारत की तेल जरूरतें रूस, इराक, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों से पूरी की जा रही हैं.
हालांकि, प्रतिबंधों के बावजूद भारत कभी-कभी ‘काट्सा’ यानी Countering America's Adversaries Through Sanctions Act के तहत राहत पाता रहा है. लेकिन यह छूट स्थायी नहीं थी, और अब ईरान की तेल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा चीन की ओर शिफ्ट हो चुका है.
Trade relations must be expanded with priority given to neighboring countries. Facilitate economic relations with countries that are economic hubs in #Asia, countries such as #China, #Russia, and #India.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) April 15, 2025
खामेनेई की पाकिस्तान पर चुप्पी और भारत के प्रति नरमी
खामेनेई के हालिया ट्वीट में चीन और रूस के साथ व्यापारिक संबंधों की बात की गई, लेकिन पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया गया — जो ईरान की रणनीति में एक बड़ा संदेश है. हाल ही में ईरान के भीतर आठ पाकिस्तानी नागरिक मारे गए, और दोनों देशों के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण हैं. यह स्थिति दर्शाती है कि ईरान आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी कड़ी नीति को बरकरार रखे हुए है.
दूसरी ओर भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट जैसे सामरिक महत्व के प्रोजेक्ट्स पर काम जारी है. हालांकि 2023 में खामेनेई ने भारत में अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर चिंता जताई थी, जिससे रिश्तों में थोड़ी खटास आई थी, लेकिन अब लगता है कि ईरान दोबारा सहयोग की राह पर लौटना चाहता है.
ये भी पढ़ेंः दिल्ली-नोएडा में 7 दिन तक लू से राहत, IMD ने अपनी चेतावनी वापस ली; जानिए कैसा रहेगा मौसम