JF-17, J-10C, PL-15... भारत-पाकिस्तान जंग में चीनी हथियारों की खुलेगी पोल, क्या उम्मीद पर उतरेगा खरा?

    दक्षिण एशिया एक बार फिर सामरिक तनाव की दहलीज पर खड़ा है. कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं.

    JF-17 J-10C PL-15 Chinese weapons will be exposed in India-Pakistan war will they live up to expectations
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली/इस्लामाबाद: दक्षिण एशिया एक बार फिर सामरिक तनाव की दहलीज पर खड़ा है. कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं. इसके जवाब में पाकिस्तान ने अपनी सैन्य तैयारी तेज कर दी है, जिसमें चीन की ओर से मिल रहे हथियारों की भूमिका अहम हो सकती है.

    यदि यह तनाव सीमित संघर्ष में तब्दील होता है, तो यह न केवल भारत और पाकिस्तान की सुरक्षा नीति की परीक्षा होगी, बल्कि वैश्विक रक्षा तकनीक—विशेष रूप से पश्चिमी देशों बनाम चीन के हथियारों—के लिए भी एक महत्वपूर्ण पल होगा.

    सैन्य क्षमताओं का तुलनात्मक परिदृश्य

    भारत के पास रूस से प्राप्त S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, फ्रांस का राफेल फाइटर जेट, और स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान जैसे आधुनिक हथियार हैं. भारत ने पिछले वर्षों में BVR (Beyond Visual Range) मिसाइलें और उच्च-क्षमता वाले रडार सिस्टम विकसित कर अपने रक्षा नेटवर्क को सशक्त बनाया है.

    दूसरी ओर, पाकिस्तान चीन से आयातित और संयुक्त रूप से विकसित JF-17, J-10C फाइटर जेट, और हाल ही में आपूर्ति की गई PL-15 मिसाइलों से लैस है. इसके अतिरिक्त, चीन निर्मित SH-15 हॉवित्ज़र और अन्य उपकरण भी पाकिस्तान की पश्चिमी सीमाओं पर तैनात हैं.

    हथियारों की वैश्विक साख पर प्रभाव

    यह संभावित संघर्ष केवल दो देशों के बीच सैन्य टकराव नहीं होगा, बल्कि यह चीन बनाम पश्चिमी रक्षा तकनीक का अप्रत्यक्ष परीक्षण भी होगा. विश्लेषकों का मानना है कि:

    • चीन, जो अपने हथियारों को वैश्विक बाजार में बेचने की कोशिश कर रहा है, इस संघर्ष में अपने हथियारों की प्रदर्शन गुणवत्ता को लेकर दांव पर है.
    • वहीं, राफेल और S-400 जैसे हथियार पहले ही कई देशों में विश्वास अर्जित कर चुके हैं, लेकिन एक प्रत्यक्ष मुकाबले में उनकी क्षमताओं का पुनः आकलन होगा.

    विशेषज्ञों के अनुसार, इस संघर्ष में चाहे युद्ध छिड़े या न छिड़े, रणनीतिक संदेश स्पष्ट होंगे—कौन-से हथियार विश्वसनीय हैं, और किस तकनीक में वास्तविक युद्ध क्षमता है.

    चीन की कूटनीतिक उलझन

    संभावित संघर्ष के परिप्रेक्ष्य में चीन की भूमिका दोहरी हो जाती है: एक ओर वह पाकिस्तान का सैन्य समर्थन करता है; दूसरी ओर वह नहीं चाहता कि भारत के साथ उसका तनाव नियंत्रण से बाहर हो जाए.

    विश्लेषकों का कहना है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनती है, तो चीन को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ सकता है, खासकर यदि उसके हथियार अपेक्षा अनुसार प्रदर्शन नहीं करते.

    रणनीतिक संतुलन और वैश्विक चिंता

    भारत के पूर्व राजदूत योगेश गुप्ता और अमेरिकी विश्लेषक असफंदर मीर जैसे विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अब केवल जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि दीर्घकालिक प्रतिरोधक क्षमता स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. भारत की नीति स्पष्ट रूप से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाने की है, न कि क्षेत्रीय युद्ध को भड़काने की.

    वहीं, पाकिस्तान की रणनीति चीन समर्थित हथियारों के ज़रिए शक्ति प्रदर्शन की हो सकती है, जो क्षेत्रीय असंतुलन को और बढ़ा सकती है.

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