पाकिस्तान के साथ युद्ध की तैयारी में जुटे पीएम मोदी! रूस के विक्ट्री डे परेड में नहीं होंगे शामिल

    दक्षिण एशिया में हालिया घटनाक्रमों के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के प्रतिष्ठित विक्ट्री डे परेड में भाग न लेने का निर्णय लिया है.

    PM Modi is busy preparing for war with Pakistan Will not attend Russias Victory Day parade
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: दक्षिण एशिया में हालिया घटनाक्रमों के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के प्रतिष्ठित विक्ट्री डे परेड में भाग न लेने का निर्णय लिया है. यह एक ऐसा संकेत है जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारी के रूप में देख रहा है. यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर सख्त प्रतिक्रिया के संकेत दिए हैं.

    उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा

    दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक हाल के दिनों में दूसरी बार हुई है. इससे पहले उन्होंने सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ अलग से एक बैठक कर प्रतिक्रिया के संभावित विकल्पों पर विचार-विमर्श किया था. जानकारों के अनुसार, भारत अब महज़ प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रणनीतिक और स्थायी परिणाम देने वाली कार्रवाई पर जोर दे रहा है.

    भारत सरकार इस बार अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की प्रक्रिया से दूर नजर आ रही है. इसके विपरीत, रणनीतिक मौन और सधे हुए कदम इस बात का संकेत हैं कि निर्णय पहले ही लिया जा चुका है, अब केवल उसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी चल रही है.

    पाकिस्तान की कूटनीतिक सक्रियता

    पाकिस्तान में राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की गतिविधियाँ इस समय बेहद असामान्य रूप से तेज़ हैं. रक्षा और विदेश मंत्रालय के अधिकारी लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी स्थिति समझाने की कोशिश कर रहे हैं और विदेशी मीडिया से बातचीत कर रहे हैं. इससे साफ़ है कि इस बार भारत की रणनीति पाकिस्तान के लिए अभूतपूर्व और अप्रत्याशित है.

    पाकिस्तान ने अपने एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को हाई अलर्ट पर रखा है और निजी एयरलाइनों की उड़ानों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. खुफिया एजेंसियों के आंतरिक अलर्ट इस बात की पुष्टि करते हैं कि पाकिस्तान भारत की ओर से किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई के लिए पूरी तरह सतर्क है—लेकिन आशंकित भी.

    पाकिस्तान की परमाणु रणनीति

    एक ओर पाकिस्तान की ओर से “मुंहतोड़ जवाब” देने की बयानबाजी चल रही है, वहीं दूसरी ओर वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बार-बार “परमाणु युद्ध” के जोखिम की ओर इशारा कर रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि यह डिटरेंस (Deterrence) की एक पुरानी रणनीति है, जिससे भारत को अंतरराष्ट्रीय दबाव में लाकर उसकी कार्रवाई रोकी जा सके.

    हालांकि, इस बार भारत की स्थिति अलग है. वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों के मद्देनज़र, यूक्रेन संकट, इज़राइल-गाज़ा संघर्ष और इंडो-पैसिफिक की चुनौतियों के बीच भारत को कूटनीतिक समर्थन की अधिक चिंता नहीं है. भारत को अमेरिका, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे साझेदार देशों से परोक्ष समर्थन पहले से ही मिल रहा है.

    पाकिस्तान की तैयारियों की सीमाएं

    पाकिस्तान ने यूक्रेन युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों को गोला-बारूद और हथियार आपूर्ति करके डॉलर तो कमाए, लेकिन इसके बदले अपने रक्षा भंडार को कमजोर कर लिया. सैन्य विश्लेषकों के अनुसार, वर्तमान में पाकिस्तान के पास लंबी अवधि तक युद्ध लड़ने की क्षमता नहीं है, न ही आर्थिक संसाधन. ऐसे में वह शाब्दिक आक्रामकता और वैश्विक चेतावनियों के सहारे खुद को युद्ध से बचाने की कोशिश कर रहा है.

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