साथ-साथ अमेरिका और जापान? पहली बार बेचने जा रहा अपना महाविनाशक वॉरशिप; थरथराएगा चीन!

    द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार जापान ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है, जो पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है. चीन की आक्रामक नीति और दक्षिण चीन सागर में बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच जापान अब ऑस्ट्रेलिया को अपने सबसे उन्नत युद्धपोत मोगामी क्लास फ्रिगेट निर्यात करेगा. यह कदम न केवल रणनीतिक है.

    Japan mogami frigate will be add into america navy
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    द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार जापान ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है, जो पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है. चीन की आक्रामक नीति और दक्षिण चीन सागर में बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच जापान अब ऑस्ट्रेलिया को अपने सबसे उन्नत युद्धपोत  मोगामी क्लास फ्रिगेट निर्यात करेगा. यह कदम न केवल रणनीतिक है बल्कि यह दर्शाता है कि जापान अब आत्मरक्षा के पार जाकर अपने साझेदार देशों की सैन्य क्षमताएं मजबूत करने को भी तैयार है.

    यह पहला अवसर है जब जापान किसी देश को युद्धपोत निर्यात करेगा. जापान और ऑस्ट्रेलिया, दोनों क्वाड (QUAD) गठबंधन के सदस्य हैं, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति को चुनौती देना है. दोनों देश चीन की सैन्य आक्रामकता से चिंतित हैं. एक ओर जापान को पूर्वी चीन सागर और ताइवान को लेकर खतरा है, वहीं ऑस्ट्रेलिया दक्षिण प्रशांत में चीनी प्रभाव से परेशान है.

    पहली बार जापान करेगा युद्धपोत का निर्यात

    जापानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी के लिए अगली पीढ़ी के युद्धपोत की चयन प्रक्रिया में जापानी मोगामी क्लास फ्रीगेट को वरीयता दी गई है. इस डील के तहत जापान कुल 11 युद्धपोत बनाएगा, जो लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस होंगे. यह ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा माना जा रहा है.

    क्यों खास है मोगामी क्लास फ्रीगेट?


    मोगामी क्लास युद्धपोत तकनीकी रूप से जापान के सबसे आधुनिक पोतों में शामिल है. इसकी लंबाई लगभग 436 फुट है और यह 5500 टन वजनी है. इसमें AESA रडार, अत्याधुनिक मिशन सिस्टम, और टाइप-17 एंटी शिप क्रूज मिसाइलें तैनात होती हैं. इसके अलावा, इसमें 5 इंच की मेन गन और अमेरिकी MH-60R Seahawk हेलिकॉप्टर के लिए लैंडिंग डेक भी है.  यह पोत डीजल और गैस टर्बाइन दोनों प्रपल्शन सिस्टम से संचालित होता है. ऑस्ट्रेलिया को मिलने वाले संस्करण को और ज्यादा उन्नत बनाया जाएगा  इसकी लंबाई बढ़ाई जाएगी, विस्थापन क्षमता 6,200 टन होगी और अधिक शक्तिशाली रडार से इसे सुसज्जित किया जाएगा.

    SEA 3000 प्रोजेक्ट में जापान की जीत

    ऑस्ट्रेलिया ने इस पूरे प्रोजेक्ट को SEA 3000 नाम दिया था, जिसके तहत उसने अपने पुराने ANZAC क्लास युद्धपोतों को रिप्लेस करने की योजना बनाई. इस प्रतिस्पर्धा में जापान के अलावा जर्मनी, दक्षिण कोरिया और स्पेन ने भी अपने-अपने डिजाइन भेजे थे. लेकिन तकनीक, विश्वसनीयता और सामरिक साझेदारी के लिहाज से जापान का प्रस्ताव सबसे उपयुक्त पाया गया. रिपोर्ट के अनुसार, पहला युद्धपोत जापान की मित्सुबिशी हैवी इंडस्ट्रीज द्वारा बनाया जाएगा, जबकि बाकी के 10 पोत ऑस्ट्रेलिया के शिपयार्ड में जापानी तकनीक के सहयोग से निर्मित होंगे. इस पूरे सौदे की अनुमानित लागत करीब 10 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर है.

    चीन के लिए कड़ा संदेश

    इस रक्षा सौदे को केवल व्यापारिक नजरिए से नहीं देखा जा सकता. यह एक बड़ा भूराजनीतिक संकेत है. जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और फिलीपींस मिलकर चीन की आक्रामकता के खिलाफ एक रणनीतिक नेटवर्क तैयार कर रहे हैं. वहीं अमेरिका भी गुआम जैसे सैन्य ठिकानों को मजबूत कर रहा है. ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने कहा कि नए युद्धपोत ऑस्ट्रेलिया की समुद्री ताकत को नए स्तर पर पहुंचाएंगे. वहीं जापान की ओर से यह संदेश स्पष्ट है कि वह अब केवल आत्मरक्षा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अपने साझेदारों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देगा.

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