बांग्लादेश में रहस्यमय हालात! पूर्व आर्मी चीफ हारुन-अर-रशीद का शव होटल में मिला, देश में फिर उभरे अस्थिरता के साए

    बांग्लादेश में तख्तापलट के एक साल बाद भी राजनीतिक उथल-पुथल और अविश्वास का माहौल बना हुआ है. ताजा मामला देश के पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एम. हारुन-अर-रशीद की संदिग्ध मौत का है, जिनका शव चटगांव क्लब के एक कमरे में संदिग्ध हालात में बरामद हुआ है.

    Bangladesh Former army chief harun dead in chittagong
    Image Source: Social Media

    बांग्लादेश में तख्तापलट के एक साल बाद भी राजनीतिक उथल-पुथल और अविश्वास का माहौल बना हुआ है. ताजा मामला देश के पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एम. हारुन-अर-रशीद की संदिग्ध मौत का है, जिनका शव चटगांव क्लब के एक कमरे में संदिग्ध हालात में बरामद हुआ है. यह घटना न केवल सैन्य हलकों को झकझोर रही है, बल्कि आम नागरिकों में भी चिंता का विषय बन गई है.


    मंगलवार सुबह करीब 10 बजे स्थानीय पुलिस को चटगांव क्लब से सूचना मिली कि एक व्यक्ति कई घंटों से कमरे से बाहर नहीं आया है. जब क्लब के कर्मचारियों ने दरवाजा खोला, तो सामने का दृश्य स्तब्ध कर देने वाला था — बांग्लादेश के पूर्व सेना प्रमुख का lifeless body कमरे में पड़ा था. कोतवाली थाने के प्रभारी अधिकारी अब्दुल करीम ने इसकी पुष्टि की और बताया कि मौत के कारणों की जांच के लिए PBI और CID की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं.

    ब्रेन हैमरेज या कुछ और?

    पुलिस और परिवार की शुरुआती राय के मुताबिक, यह मामला ब्रेन हैमरेज का हो सकता है, लेकिन जांच अभी अधूरी है. किसी भी प्रकार की साजिश या हत्या की आशंका से इनकार नहीं किया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच के बाद ही मौत की असली वजह सामने आ पाएगी.


    अदालत की तारीख, पर नहीं पहुंचा गवाह

    रिपोर्ट्स के मुताबिक 77 वर्षीय हारुन-अर-रशीद चटगांव एक कोर्ट सुनवाई के लिए ढाका से रविवार को पहुंचे थे. वह ‘डेस्टिनी ग्रुप’ से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले में आरोपी थे और केस की सुनवाई के लिए उपस्थित होने वाले थे. जब वो अदालत नहीं पहुंचे और उनका मोबाइल भी बंद मिला, तब अधिकारियों को संदेह हुआ. आखिरकार क्लब के कमरे से उनका शव बरामद किया गया.

    कौन थे हारुन-अर-रशीद?

    1948 में चटगांव के हथजारी क्षेत्र में जन्मे हारुन-अर-रशीद ने 2000 से लेकर 2002 तक बांग्लादेश सेना के चीफ के रूप में सेवाएं दीं. मुक्ति संग्राम के दौरान उनके योगदान के लिए उन्हें 'बीर प्रोतिक' से नवाजा गया था — जो बांग्लादेश का एक प्रतिष्ठित वीरता सम्मान है. वह डेस्टिनी ग्रुप नाम की बहुचर्चित कंपनी के चेयरमैन भी रह चुके हैं, जो विवादों और आर्थिक गड़बड़ियों के लिए लंबे समय से सुर्खियों में है.

    सवालों के घेरे में बांग्लादेश की व्यवस्था

    पूर्व आर्मी चीफ की इस रहस्यमय मौत ने फिर से देश की व्यवस्था और सुरक्षा को सवालों के कटघरे में ला खड़ा किया है. क्या यह सिर्फ एक प्राकृतिक मौत है या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश छिपी है? क्या सत्ता परिवर्तन के बाद संवेदनशील लोगों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है? इन सभी सवालों का जवाब अभी जांच में छिपा है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि बांग्लादेश फिलहाल स्थिरता और विश्वास के मोर्चे पर गंभीर संकट से जूझ रहा है.

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