इजरायल ने सैन‍िक भेजकर सीरिया के कई इलाकों पर जमाया कब्जा, काम नहीं आई ट्रंप से दोस्‍ती!

    मध्य पूर्व में तनाव की तपिश एक बार फिर दुनिया को अपनी ओर खींच रही है.

    Israel sent troops and captured many areas of Syria
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    मध्य पूर्व में तनाव की तपिश एक बार फिर दुनिया को अपनी ओर खींच रही है. इस बार केंद्र में हैं इज़रायल और सीरिया दो ऐसे पड़ोसी देश जिनके बीच की रेखाएं कभी स्थिर नहीं रहीं. हालिया घटनाक्रम ने इन जटिल रिश्तों को और अधिक उलझा दिया है.

    माउंट हर्मोन की पहाड़ियों में जो कुछ हुआ है, उसने सीरिया की संप्रभुता को ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्रीय समीकरण को झकझोर दिया है. सीरिया के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि इज़रायल ने उनके सीमाई इलाके में घुसकर करीब 60 सैनिक भेजे और कई हिस्सों पर अपना सैन्य नियंत्रण स्थापित कर लिया. साथ ही, 6 स्थानीय नागरिकों को हिरासत में लेने का भी आरोप लगाया गया है.

    यह सब उस क्षेत्र में हुआ जो लेबनान बॉर्डर के पास है, और लंबे समय से हथियारों की तस्करी और चरमपंथी गतिविधियों का केंद्र माना जाता रहा है.

    सीरिया की संप्रभुता पर खुली चुनौती

    सीरिया ने इस कार्रवाई को एक सीधी सैन्य घुसपैठ बताया है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह इज़रायल की ओर से “खतरनाक सैन्य उकसावे” की श्रेणी में आता है और इससे पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता खतरे में पड़ सकती है.

    दमिश्क ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह केवल सीमा का उल्लंघन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला है. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगी और किसी भी प्रकार के इज़रायली दबाव को स्वीकार नहीं करेगी.

    इज़रायल का बचाव: सुरक्षा या रणनीति?

    इज़रायल की सरकार या सेना की ओर से फिलहाल इस घटना पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह कदम अचानक नहीं था. इज़रायल ने हाल ही में कुछ उपग्रह तस्वीरें और वीडियो जारी किए थे, जिनमें उसने दक्षिण सीरिया में हथियार डिपो और आतंकवादी नेटवर्क की मौजूदगी का दावा किया था.

    इज़रायल का हमेशा से मानना रहा है कि ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह और फिलिस्तीनी उग्रवादी गुट लेबनान और सीरिया की सीमाओं से उसके लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं. इसलिए, यह कार्रवाई एक तरह से “रोकथाम रणनीति” के तहत की गई प्रतीत होती है, जिससे इज़रायल अपने उत्तर सीमांत को सुरक्षित बनाना चाहता है.

    अमेरिका की कोशिशें नाकाम?

    एक और बड़ा पहलू यह है कि सीरिया और इज़रायल के बीच चल रही अमेरिका की मध्यस्थता भी इस सैन्य कार्रवाई से खतरे में पड़ गई है. महीनों से वाशिंगटन प्रयास कर रहा था कि दक्षिण सीरिया में संघर्ष विराम और स्थायी शांति समझौता हो सके. लेकिन इज़रायल के इस कदम ने उस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    सीरिया के अधिकारियों का कहना है कि इज़रायल, अमेरिका के साथ अपने मजबूत रिश्तों का उपयोग करके क्षेत्र में दबदबा बनाना चाहता है. यहां तक कि ट्रंप प्रशासन के साथ बनी करीबी भी सीरिया को इस सैन्य दखल से नहीं बचा सकी.

    ड्रूज़ समुदाय के नाम पर सैन्य विस्तार?

    इज़रायल इस सैन्य गतिविधि को ड्रूज़ समुदाय की सुरक्षा से जोड़ता रहा है. यह एक धार्मिक अल्पसंख्यक समूह है जो सीरिया, लेबनान और इज़रायल में निवास करता है. जुलाई में स्वीदा प्रांत में ड्रूज़ नागरिकों और स्थानीय मिलिशिया के बीच हिंसक झड़पों में दर्जनों लोगों की मौत हुई थी.

    इज़रायल का कहना है कि उसने ड्रूज़ की सामूहिक हत्या को रोकने के लिए ही सैन्य कार्रवाई की थी. साथ ही, जनवरी में इज़रायल के रक्षा मंत्री ने यह बयान दिया था कि उनकी सेना माउंट हर्मोन के पास अनिश्चितकाल तक तैनात रहेगी. इसके बाद से उस क्षेत्र को "सुरक्षा क्षेत्र" की तरह विकसित किया जा रहा है, जहां सेना गश्त करती है, चेकपोस्ट बनाए गए हैं और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जाती है.

    इस सैन्य दबाव का बड़ा असर क्या हो सकता है?

    इज़रायल की यह कार्रवाई सिर्फ सीमा पर घुसपैठ नहीं, बल्कि व्यापक कूटनीतिक और सामरिक नतीजों के संकेत देती है. इस कदम से:

    • सीरिया की संप्रभुता को सीधी चुनौती दी गई है.
    • लेबनान और फिलिस्तीनी संगठनों के साथ इज़रायल का तनाव और भड़क सकता है.
    • अमेरिका की मध्यस्थता से चल रही शांति वार्ता पटरी से उतर सकती है.
    • पहले से ही अस्थिर सीरिया में एक नया सैन्य मोर्चा खुल सकता है, जिससे मानवीय संकट और बढ़ जाएगा.

    विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कदम मध्य-पूर्व में शांति की कोशिशों को लगातार कमजोर कर रहे हैं. जहां एक ओर वैश्विक समुदाय कूटनीति और संवाद को बढ़ावा देना चाहता है, वहीं ऐसी सैन्य कार्रवाइयां उस भरोसे को खत्म कर देती हैं जो संघर्ष विराम की नींव होती है.

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